महिलाओं को हर महीने पीरियड्स के साथ चिडचिड़ापन, कब्ज, घबराहट चक्कर, मार्निंग सिकनेस जैसी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। वहीं कुछ महिलाओं को पीरियड्स आने के 5 से 11 दिन पहले डिप्रेशन और टेंशन महसूस होती है, जिसे मेडिकल भाषा में प्री मेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसॉर्डर (पीएमएस) कहा जाता है। पीएमएस के कुछ सामान्य लक्षण प्रेगनेंसी से मिलते हैं इसलिए महिलाओं को पता होना चाहिए कि दोनों स्थितियों में क्या अंतर है। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस) महिलाओं से जुड़ी ऐसी समस्या है, जिसका असर इमोशनल डिसॉर्डर के रूप में ज्यादा सामने आता है। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम मेंस्ट्रुअल साइकिल या हार्मोंस में गडबडी के कारण नहीं बल्कि हार्मोंस में बदलाव के कारण होता है। इसके कारण शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर भी बढ़ जाता है, जिससे चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग होना और तनाव जैसे लक्षण दिखाई देते हैं और महिलाएं इसे प्रेगनेंसी समझ लेती हैं।
डिप्रेशन का बन सकती है कारण
हालांकि पीरियड्स खत्म होने के बाद स्थिति धीरे-धीरे सुधरती है लेकिन साइकिल के सेकंड हाफ में ये समस्याएं बढ़ जाती हैं। इस दौर में डिप्रेशन चरम पर होता है जिसमें आत्महत्या तक का खयाल आ सकता है।85% औरतों को होती है समस्या लेकिन फिर भी है अंजान
पीरियड्स शुरू होने के 5-11 दिन पहले लगभग 85% महिलाओं को पीएमएस के लक्षण महसूस होते हैं। जैसे ही मासिक धर्म शुरू हो जाता है ये लक्षण खत्म हो जाते हैं। वहीं 20-32% महिलाएं के गंभीर लक्षण महसूस करती हैं जिसके कारण उन्हें पीरियड्स के समय काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
पीएमएस के कारण
हार्मोनल बदलाव
दिमाग में रसायनों में बदलाव
डिप्रेशन के कारण
सिरदर्द और एलर्जी
गलत लाइफस्टाइल
किन महिलाओं को अधिक खतरा
फिलहाल इसके सही कारण पता नहीं चल पाए है लेकिन रिसर्च के मुताबिक पीएमएस आमतौर पर उन स्त्रियों में अधिक पाया जाता है,…
जिनकी उम्र 20 से 40 वर्ष के बीच हो और जिनके बच्चे हों
जिनके परिवार में अवसाद का इतिहास हो
लगभग 50-60% स्त्रियों में सिवियर पीएमएस के अलावा मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी दिखती हैं।
अस्थमा, माइग्रेन से ग्रस्त महिलाओं को भी इसका अधिक खतरा होता है।
पीएमएस के लक्षण
पेट में दर्द व सूजन
चेहरे पर मुंहासे
कब्ज एवं डायरिया
नींद के पैटर्न में बदलाव
तनाव और डिप्रेशन
अचानक वजन बढ़ना
ब्रेस्ट में तेज दर्द होना
अधिक मीठा खाने का मन करना
तेज रोशनी व आवाज से घबराहट
सिरदर्द, थकान, चिड़चिड़ापन
पीरियड्स के दौरान दर्द
भूलने की समस्या
कैसे हो डाइग्नोसिस?
पीएमएस के लिए कोई लैब टेस्ट्स या फिजिकल इग्जामिनेशन नहीं हैं। मगर मरीज की हिस्ट्री, पेल्विक इग्जामिनेशन और कुछ केसों में साइकोलॉजिकल एनालिसिस से पता लगाया जा सकता है कि महिला इस बीमारी से ग्रस्त है या नहीं।
इलाज
पीएमएस के लक्षणों के आधार पर डॉक्टर एंटी-बायटिक्स, एंटी-डिप्रेसेंट्स व पेन किलर्स लेने की सलाह देते हैं, जिससे इसके लक्षण काफी हद तक कम हो जाते हैं। इसके अलावा
-व्यायाम और योग से इसके लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
-डाइट में हरी सब्जियां, फल, जूस आदि आधिक शामिल करें। साथ ही डाइट में फोलिक एसिड, विटामिन बी 6, कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन-डी से भरपूर चीजें लें।
-न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स का सेवन बढाएं।
-नमक, चीनी, अल्कोहॉल और कैफीन का सेवन कम करें।
-मासिक धर्म शुरू होने से पहले जब पेट में दर्द या सूजन हो तो पर्याप्त पानी पीएं।
क्या है प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम, किन महिलाओं को होती है अधिक समस्या?
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