पटना: बिहार विधानपरिषद की 11 सीटों के लिए हाल में चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सहित सभी दलों के प्रत्याशियों के निर्विरोध निर्वाचित घोषित होने के बाद विधानपरिषद में राजद के सदस्यों की संख्या 9 हो गई है और राबड़ी को अब सदन में प्रतिपक्ष का नेता बनाए जाने की संभावना प्रबल हो गई है. राजद के प्रदेश अध्यक्ष एवं नवनिर्वाचित सदस्य रामचंद्र पूर्वें ने बताया कि अगले माह नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथग्रहण के बाद उनकी पार्टी की ओर से इस आशय का एक प्रस्ताव बिहार विधानपरिषद के कार्यकारी सभापति को भेजा जाएगा. बिहार विधानपरिषद के नियम के अनुसार सदन में दूसरे सबसे बड़े दल का दावा करने वाली पार्टी के किसी भी सदस्य को प्रतिपक्ष के नेता का दर्जा दिए जाने के लिए उक्त दल का कम से कम 10 सदस्य होना आवश्यक है. बहरहाल, इससे पहले नौ सदस्य होने पर राजद नेता गुलाम गौस को प्रतिपक्ष के नेता का दर्जा दिया जा चुका है. ऐसे संकेत हैं कि राजद विधानपरिषद में अपने सदस्यों की संख्या 10 करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्यूलर) का पार्टी में विलय कराने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है. मांझी के बेटे संतोष मांझी विधानपरिषद में चुने गए हैं. बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता के तौर पर सदन के सबसे बड़े दूसरे दल के सदस्य को प्रतिपक्ष के नेता का दर्जा दिये जाने की एक परिपाटी रही है. विधानपरिषद में राजद के दो मुस्लिम सदस्य हैं, मोहम्मद कमर आलम और खुर्शीद मोहसिन.
बिहार विधानपरिषद के कार्यकारी सभापति मोहम्मद हारून रशीद ने बताया कि शपथग्रहण के बाद राजद की ओर से राजद के किसी सदस्य को सदन में प्रतिपक्ष के नेता के तौर दर्जा देने का कोई प्रस्ताव आएगा तब उस समय उस पर विचार कर वह कोई निर्णय करेंगे. बिहार विधान परिषद में राबड़ी देवी का कार्यकाल 6 मई को पूरा होगा. तब वह फिर से इस सदन के सदस्य के तौर पर शपथ लेंगी. बिहार विधानपरिषद में अभी राजद की तरफ से राबड़ी को मिला कर कुल आठ सदस्य हैं. अभी तक प्रतिपक्ष के नेता का पद रिक्त था. उल्लेखनीय है कि 75 सदस्यीय बिहार विधान परिषद में नवनिर्वाचित हुए 11 सदस्यों के साथ जदयू के 32, भाजपा के 22, राजद के 9, कांग्रेस के 3, भाकपा एवं लोजपा के दो—दो, हम सेक्युलर एवं रालोसपा के एक—एक तथा 3 निर्दलीय सदस्य हैं.