नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक माना जाता है. पीला रंग, स्वर्ण, वित्त और कोष, कानून, धर्म, ज्ञान, मंत्र, ब्राह्मण और संस्कारों को नियंत्रित करता है. शरीर में पाचन तंत्र, मेदा और आयु की अवधि को निर्धारित करता है. पांच तत्वों में आकाश तत्त्व का अधिपति होने के कारण इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट होता है. महिलाओं के जीवन में विवाह की सम्पूर्ण जिम्मेदारी बृहस्पति से ही तय होती है.
क्या होता है जब बृहस्पति का बुरा असर व्यक्ति पर पड़ने लगता है ?
– बृहस्पति के कमजोर होने से व्यक्ति के संस्कार कमजोर होते हैं.
– विद्या और धन प्राप्ति में बाधा के साथ साथ व्यक्ति को बड़ों का सहयोग पाने में मुश्किलें आती हैं.
– व्यक्ति का पाचन तंत्र कमजोर होता है,कैंसर और लीवर की सारी गंभीर समस्याएं बृहस्पति ही देता है.
– संतान पक्ष की समस्याएं भी परेशान करती हैं , कभी कभी तो संतान ही नहीं होती.
– अगर बृहस्पति का सम्बन्ध विवाह भाव से बन जाए तो विवाह होना असंभव हो जाता है.
– शनि की अशुभ स्थिति से व्यक्ति की समस्याओं का निवारण हो सकता है परन्तु बृहस्पति के बुरे असर का निवारण बहुत ही मुश्किल होता है.कैसे करें बृहस्पति देव की आराधना ?
– बृहस्पतिवार को प्रातः स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें.
– बृहस्पति देव के चित्र या केले के पौधे के समक्ष बैठें.
– धूप बत्ती और दीपक जलाएं,चने की दाल और गुड का भोग लगाएं.
– इसके बाद आवश्यकता अनुसार बृहस्पति के मन्त्रों का जाप करें.
– मंत्रों का जाप हल्दी या रुद्राक्ष की माला से करें.
– बृहस्पतिवार को पीली वस्तुओं का आहार ग्रहण करें
किन मन्त्रों का किन दशाओं में जाप करें ?
– जब सामान्य रूप से बृहस्पति देव की कृपा चाहिए हो तो “ॐ बृ बृहस्पतये नमः” का प्रातःकाल जाप करें.
– जब बृहस्पति के कारण स्वास्थ्य की समस्या हो तो तब “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः” का प्रातः और सायंकाल दोनों वेला जाप करें.
– जब बृहस्पति के कारण संस्कारों की समस्या हो तो ऐसी दशा में “ॐ देवपूजिताय नमः” का प्रातःकाल जाप करें
– जब बृहस्पति के कारण संतान की समस्या हो तब “ओम् आंगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात्” का जाप प्रातः तीन माला करें.
क्या आप जानते है ज्योतिष में बृहस्पति का महत्व, जानिए इसके शुभ और अशुभ प्रभाव
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