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‘कोवैक्सीन’ कोरोना टीका के इस्तेमाल की मंजूरी पर अनिवार्य प्रोटोकॉल तथा डेटा के सत्यापन का पालन क्यों नहीं किया गया: कांग्रेस

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भारत के औषधि नियामक द्वारा भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके के सीमित उपयोग की अनुमति दिए जाने पर चिंता जताई। साथ ही सरकार को यह बताने के लिए कहा कि अनिवार्य प्रोटोकॉल तथा डेटा के सत्यापन का पालन क्यों नहीं किया गया।

गृह मामलों की संसदीय समिति के प्रमुख शर्मा ने कहा कि टीके के उपयोग की मंजूरी के मुद्दे पर बेहद सावधानी बरतना आवश्यक है, क्योंकि किसी भी देश ने अनिवार्य चरण के तीन परीक्षणों और डेटा सत्यापन के साथ समझौता नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समिति के समक्ष दी गई प्रस्तुति के अनुसार, तीसरे चरण के परीक्षण पूरे नहीं हुए हैं। इसलिए सुरक्षा तथा प्रभाव के आंकड़ों की समीक्षा नहीं की गई है, जो एक अनिवार्य आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय को इस मामले में अनिवार्य प्रोटोकॉल और जरूरतों के साथ समझौता करने के लिए अलग-अलग कारण बताना चाहिए, क्योंकि इसमें कोविड-19 के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले स्वास्थ्य और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं, जिन्हें सीमित श्रेणी के तहत टीका लगाया जाएगा।

आनंद शर्मा ने कहा कि डीसीजीआई के बयान में स्पष्टता की कमी है। सरकार को टीके की सिद्ध प्रभावशीलता पर किसी भी भ्रम से बचने के लिए वैश्विक प्रभावशीलता परीक्षणों तथा ब्रिटेन में अंतिम परीक्षणों के आंकड़ों को पेश करना चाहिए, जिसे ब्रिटेन के एमएचआरए ने दोनों देशों की सरकारों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद आधिकारिक रूप से साझा किया है। उन्होंने कहा कि टीके के आगमन और टीकाकरण की शुरुआत की खबर महामारी से पीड़ित देश को वास्तव में आश्वस्त करने वाली है।

साथ ही यह देश के वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं और संस्थानों के लिए भी एक सम्मान है, जिन्होंने भारत को दुनिया के सबसे बड़े टीका निर्माता के रूप में स्थापित किया है। शर्मा ने कहा कि एक ऐसे टीके के मामले में सीमित उपयोग की आपात मंजूरी के लिए सिफारिश की खबरों से कुछ चिंताएं उत्पन्न हुई हैं, जो अभी भी तीसरे चरण के परीक्षणों से गुजर रहा है। इससे वास्तव में चिंताएं उत्पन्न हुई हैं, क्योंकि इसमें स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी मुद्दे जुड़े हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रोटोकॉल क्यों संशोधित किए जा रहे : जयराम रमेश
कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी चिंता जताई। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से यह स्पष्ट करने को कहा कि तीसरे चरण के परीक्षणों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रोटोकॉल क्यों संशोधित किए जा रहे हैं।

उन्होंने ट्विटर पर कहा, भारत बायोटेक प्रथम दर्जे का उद्यम है, लेकिन यह हैरान करने वाला है कि तीसरे चरण के परीक्षण से संबंधित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रोटोकॉल कोवैक्सीन के लिए संशोधित किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को स्पष्ट करना चाहिए।

डॉ. हर्षवर्धन को स्पष्टीकरण देना चाहिए : थरूर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरूवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने कोवैक्सीन को मंजूरी देने की आलोचना की और कहा कि यह समय पूर्व और खतरनाक है। थरूर ने ट्वीट किया, ‘कोवैक्सीन का अभी तक तीसरे चरण का परीक्षण नहीं हुआ है। मंजूरी समय से पहले दी गई है और यह खतरनाक हो सकता है। डॉ. हर्षवर्धन को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। पूरा परीक्षण होने तक इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए।’

पर्याप्त परीक्षण के बाद ही आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिले
इस मुद्दे पर पहले गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने गहन विमर्श किया था। समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि कोविड -19 के किसी भी टीके को उचित जांच पड़ताल और उसके पर्याप्त परीक्षण के बाद ही आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी जानी चाहिए।

गत 21 दिसंबर को राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में संसद की स्थायी समिति ने उल्लेख किया था कि सीडीएससीओ ने अतीत में कोई आपात उपयोग की मंजूरी नहीं दी है। इसलिए सुझाव है कि सभी आवश्यक और अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिए तथा परीक्षण के सभी चरण पूरे किए जाने चाहिए।

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