नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ के इस्तेमाल पर रोक की मांग वाली एक याचिका को भारी जुर्माने के साथ सोमवार को खारिज दिया और कहा कि इन दोनों वैक्सीन पर किसी तरह का संदेह न किया जाए। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को सही ठहराया है।
जिसमें कोविड-19 से एहतियाती बचाव के लिए टीकाकरण में ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ का सभी प्रकार का क्लिनिकल ट्रायल पूरा होने तक इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया था।
मैथ्यू थॉमस एवं अन्य की जनहित याचिका को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने खारिज करते हुए कहा था कि यह जनहित से जुड़ा हुआ मामला नहीं है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि उच्च न्यायालय ने इस मामले में उचित फैसला लिया है, दोनों वैक्सीनों पर किसी प्रकार का संदेह नहीं किया जा सकता।
इनका इस्तेमाल सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में किया जा रहा है। पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता मैथ्यू थॉमस एवं अन्य की याचिका को गलत बताते हुए कहा कि इससे इस अदालत का कीमती समय बर्बाद हुआ है। पीठ के समक्ष खाद्य सुरक्षा और ऑक्सीजन की कमी से जुड़ी कई याचिकाएं सुनवाई के लिए लंबित है।
शीर्ष अदालत की नाराजगी पर याचिकाकर्ता ने इसे वापस लेने की गुहार लगाई थी, जिसे पीठ ने अस्वीकार करते हुए कहा कि यह जुर्माना लगाने लायक याचिका है। अदालत ने जुर्माने की राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करने का आदेश दिया।