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कोविड-19 से मृत्यु पर मुआवजे के वितरण के मामले में राज्यों से नाखुश हाईकोर्ट ने जताई अप्रसन्नता

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 से मृत्यु के मामलों में मृतकों के परिजनों को मुआवजा नहीं दिये जाने को लेकर बुधवार को राज्य सरकारों पर अप्रसन्नता जताई और आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जाए।

शीर्ष अदालत ने आंध्र प्रदेश और बिहार सरकार के मुख्य सचिवों को बुधवार अपराह्न दो बजे ऑनलाइन पेश होने और यह स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया कि कोविड-19 से मृत्यु के मामलों में परिजनों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि का वितरण उनके राज्यों में कम क्यों हुआ है। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि वह अपराह्न दो बजे आदेश सुनाएगी।

पीठ ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों से कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों से संपर्क करने तथा मुआवजा दावों का पंजीकरण और वितरण उसी तरह करने के लिए कहा, जैसा 2001 में गुजरात में आए भूकंप के दौरान किया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह कोविड-19 से मृत्यु के बिहार द्वारा दिये गये आंकड़ों को खारिज करती है और ये आंकड़े वास्तविक नहीं बल्कि सरकारी हैं।

पीठ ने बिहार सरकार की तरफ से पेश हुए वकील से कहा कि, हमें भरोसा नहीं हो रहा कि बिहार राज्य में कोविड के कारण केवल 12,000 लोगों की मृत्यु हुई। हम चाहते हैं कि आपके मुख्य सचिव दो बजे डिजिटल तरीके से यहां पेश हों। शीर्ष अदालत वकील गौरव कुमार बंसल और अन्य लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें कोविड-19 से मारे गये लोगों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने का अनुरोध किया गया है।

शीर्ष अदालत ने कोविड-19 से मृत्यु के मामलों में अनुग्रह राशि के वितरण के लिए बनाये गये पोर्टल के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं होने पर भी पिछले साल 13 दिसंबर को अप्रसन्नता व्यक्त की थी। पीठ ने कहा था कि जब तक व्यापक प्रचार नहीं किया जाता, तब तक लोग उस पोर्टल के बारे में नहीं जान पाएंगे, जिस पर वे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा था कि कुछ राज्यों ने अखबारों में विशेष रूप से स्थानीय भाषा के अखबारों और स्थानीय चैनलों में विज्ञापनों में पोर्टल के संबंध में पूरा विवरण देकर व्यापक प्रचार नहीं किया।

उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को अनुग्रह राशि देने के संबंध में दिये गये उसके निर्देशों के विपरीत अधिसूचना जारी करने पर 18 नवंबर को गुजरात सरकार से अप्रसन्नता जताई थी। शीर्ष अदालत ने चार अक्टूबर को कहा था कि कोविड-19 से मृत किसी व्यक्ति के परिजन को 50,000 रुपये का मुआवजा देने से कोई भी सरकार केवल इस आधार पर मना नहीं करेगी कि मृत्यु प्रमाणपत्र में कारण में वायरस का उल्लेख नहीं है।

अदालत ने यह भी कहा था कि संबंधित जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण या जिला प्रशासन में कोरोना वायरस के कारण मृत्यु के प्रमाणपत्र और कारण ‘कोविड-19 की वजह से मृत्यु’ प्रमाणित किये जाने के साथ आवेदन करने की तारीख से 30 दिन के अंदर अनुग्रह राशि दी जानी होती है।

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