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कोर्ट ने राम रहीम संबंधी हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनाया फैसला

पंचकूला: पंचकूला स्थित सीबीआई कोर्ट ने हरियाणा सरकार द्वारा लगाई गई याचिका, जिसमें डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को छत्रपति हत्याकांड में फैसला सुनने के लिए कोर्ट में प्रत्यक्ष रूप से पेश होने की बजाए वीसी के जरिए पेश करने की मांग रखी थी, पर फैसला सुनाया है। कोर्ट के इस फैसले से हरियाणा सरकार को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि कोर्ट ने छत्रपति हत्याकांड में 11 जनवरी को होने वाली सुनवाई पर राम रहीम को वीडियो कांन्फ्रेंसिंग के जरिए ही पेश किया जाने के आदेश किए हैं। वहीं मामले से जुड़े अन्य आरोपियों की पेशी प्रत्यक्ष रूप से ही होनी है। बता दें कि हरियाणा सरकार ने दायर की गई इस याचिका में राम रहीम को कोर्ट में प्रत्यक्ष रूप से पेश किए जाने पर लॉ एंड आर्डर की स्थिति खराब होने की संभावना जताई थी।

इससे पहले 25 अगस्त 2017 को डेरा प्रमुख को साध्वी यौन शोषण मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकूला व सिरसा में डेरा उपद्रवियों के हिंसक तांडव के चलते 38 जानें चली गई, 250 लोग घायल हो गए व 300 से अधिक वाहन आग के हवाले कर दिए गए थे। इस तरह की घटना दोबारा न हो इसलिए सरकार ने राम रहीम को जेल से बाहर किसी भी हाल में नहीं आने देना चाहती। जिस तरह से हरियाणा सरकार पंचकूला दंगों से सहमी है, उसके मुताबिक राम रहीम कोर्ट में पेशी के लिए भी बाहर नहीं आने दे सकती। हालांकि, आमतौर पर कैदियों को मिलने वाली पैरोल भी राम रहीम को नसीब होना नामुमकिन ही लग रहा है। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड मामले में बीती 2 जनवरी को सीबीआई कोर्ट पंचकूला में फाइनल बहस हुई, बहस के बाद अब 11 जनवरी को इस मामले की अगली पेशी मुकर्रर की गई है।

वहीं सीबीआई कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम को प्रत्यक्ष रूप से पेश करने के निर्देश दिए थे। इस मामले में गुरमीत राम रहीम को 16 साल पूर्व हुई पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में 11 जनवरी को बड़ा फैसला सुनाया जाने की संभावना है। साध्वी दुष्कर्म मामले में राम रहीम को सजा सुनाने वाले जज जगदीप सिंह ही छत्रपति हत्या कांड में भी फैसला सुनाएंगे। बता दें कि रामचंद्र छत्रपति की 24 अक्टूबर 2002 को गोली मारी गई थी। आरोपियों में कुलदीप व निर्मल को सिरसा की खैरपुर चैकी के हवलदार धर्म सिंह व अन्य पुलिस कर्मियों ने कुछ समय बाद ही सिरसा में ही दबोच लिया था। आरोपी चूंकि डेरे के अनुयायी थे, उससे पता चला कि छत्रपति पर हुए हमले के तार डेरा से जुड़े हैं। छत्रपति ने जिंदगी और मौत के बीच जूझते हुए 20 नवंबर 2002 को उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था।

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