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कोरोना से बचाव के कदमों को भविष्य में भी जारी रखेगा यूपीएमआरसी


 राहुल यादव, लखनऊ। लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा ‘मेट्रो सेवा का भविष्य‘ विषय पर आयोजित वेबिनार में उत्तर प्रदेश मेट्रो के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने मेट्रो परिवहन को शहरी यातायात व्यवस्था की रीढ़ बताते हुए कहा कि शहरों पर बढ़ते दबाव के बीच मेट्रो सेवा, परिवहन के सबसे बेहतर विकल्प के रूप में उभरा है। उन्होंने इस अवसर पर बताया कि लखनऊ मेट्रो ने कोविड के बाद सबसे तेज राइडरशिप रिकवरी की है और कोरोना से बचाव के लिए उठाए गए सैनिटाइजेशन संबंधी कदमों को भविष्य में भी जारी रखा जाएगा। 

प्रबंध निदेशक केशव ने कहा कि लखनऊ मेट्रो ने निर्धारित समय सीमा से 36 दिन पूर्व ही निर्माण कार्य पूरा कर अन्य मेट्रो परियोजनाओं के लिए एक मिसाल पेश किया है। लखनऊ की तरह ही कानपुर में भी निर्माण प्रक्रिया पूरी तेजी से आगे बढ़ रही है। जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की निदेशक कविता पाठक ने अपने संस्थान द्वारा किए गए एक शोध का संदर्भ देते हुए बताया कि लखनऊ में मेट्रो द्वारा यात्रियों को प्रदान की जा रही सुविधाओं जैसे, गो स्मार्ट कार्ड तथा टिकट वेंडिंग मशीनों के बारे में लोगों में जागरूकता आ चुकी है। उन्होंने कोरोना जैसी गंभीर चुनौती का सुनियोजित ढंग से सामना करने के लिए मेट्रो प्रबंधन की तारिफ़ की।

 केशव ने कोरोना दौर के अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कोविड से यात्रियों की सुरक्षा के लिए सैनिटाइजेशन और शारीरिक दूरी सुनिश्चित करने के तमाम प्रयास किए गए। जागरूकता अभियान चलाए गए और बिजनेस कंटीन्यूटी प्लान सबके साथ साझा किया गया।  इन प्रयासों को परिस्थिति के सामान्य हो जाने के बाद भी जारी रखा जाएगा। भविष्य में ट्रेनों के त्वरित और कम लागत में सैनिटाइजेशन के लिए अल्ट्रावायलेट किरणों का भी सहारा लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि उनके प्रयासों और जनता के मेट्रो के प्रति विश्वास का ही नतीजा है कि लखनऊ मेट्रो ने अन्य मेट्रो के मुकाबले सबसे तेज राइडरशिप रिकवरी में सफलता प्राप्त की है, जो कोविड पूर्व की राइडरशिप का 60 प्रतिशत है। यह उपलब्धि इसलिए भी महत्तवपूर्ण है क्योंकि अभी तक शहर के प्रायः स्कूल, कॉलेज, कार्यालय आदि महत्तपपूर्ण प्रतिष्ठान बंद हैं। हमने लोगों को बताया है कि अन्य परिवहन के साधनों की तुलना में मेट्रो सबसे सुरक्षित यात्रा का साधन है।  

उन्होंने बताया कि कोविड के बाद आने वाले समय में मेट्रो परियोजनाओं की फंडिंग के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल सबसे उपयुक्त होगा। शहर के परिवहन व्यवस्था को और भी सुचारू और यात्रा के अनुकूल बनाने के लिए ‘वन सिटी वन कार्ड‘ जैसे सिस्टम की आवश्यकता है। विभिन्न परिवहन व्यवस्थाओं के बीच समन्वय स्थापित करके ही हम लास्ट माइल कनेक्टिविटी या आखिरी गंतव्य तक यात्री की पहुंच सुनिश्चित कर पाएंगे। इसके लिए मेट्रो के नेटवर्क के विस्तार की भी आवश्यकता है।  उन्होंने आगरा और कानपुर मेट्रो परियोजनाओं के समय से पूर्ण होने की आशा जताते हुए टीम की सजगता और कर्तव्यनिष्ठा की प्रशंसा की।इस विषय पर उनके साथ चर्चा में  कविता पाठक, ए.के. माथुर,  प्रवीण द्विवेदी, काज़ी मीराज अहमद आदि गणमान्य अतिथियों ने हिस्सा लिया।

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