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कोरोना महामारी: गरीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे भारत के 40 करोड़ लोग, संकट द्वितीय विश्व युद्ध से भी बड़ा

अशोक यादव, लखनऊ। कोरोना महामारी के कारण भारत के 40 करोड़ लोगों के गरीबी रेखा के नीचे जाने का खतरा बढ़ गया है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 की वजह से इस साल की दूसरी तिमाही में वैश्विक स्तर पर 19.5 करोड़ लोगों की फुलटाइम जॉब जा सकती है।

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) ने अपनी रिपोर्ट में  कोरोनावायरस महामारी को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे खराब वैश्विक संकट बताया है।

आईएलओ के महानिदेशक गाई राइडर ने कहा, ”ये आंकड़े स्वयं बताते हैं कि स्थिति कितनी भयवाह है। दुनिया भर के कामगार मौजूदा संकट से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।  

विकसित और विकासशील दोनों अर्थव्यवस्थाओं में श्रमिकों और व्यवसायों को तबाही का सामना करना पड़ रहा है।” दुनिया भर में दो अरब लोग अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं (ज्यादातर उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में) और विशेष रूप से यही लोग सबसे ज्यादा जोखिम में हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 संकट पहले से ही लाखों अनौपचारिक श्रमिकों को प्रभावित कर रहा है। राइडर ने कहा,” 75 से अधिक वर्षों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए यह सबसे बड़ी परीक्षा है। यदि कोई देश विफल हो जाता है तो हम सभी असफल होंगे।

हमें ऐसे समाधान खोजने होंगे जो हमारे वैश्विक समाज के सभी वर्गों की मदद करें, विशेष रूप से वे जो सबसे कमजोर या कम से कम खुद की मदद करने में सक्षम हों।”

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