अशाेक यादव, लखनऊ। कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। कोरोना महामारी को देखते हुए राजधानी लखनऊ के ऐशबाग में विशालकाय रावण का पुतला दहन इस बार नहीं हो पाएगी।
कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन न हो इसलिए शहर की सबसे बड़ी और 400 साल पुरानी ऐशबाग रामलीला वृहद रूप से नही होगी। ऐशबाग की 100 साल से पुरानी रामलीला, रामबारात कैसे निकलेगी इसको लेकर आयोजक परेशान हैं। कारोबारियों भी मायूस नजर आ रहे है। हर साल इस बाजार में इस समय रावण के पुतले बनने शुरू हो जाया करते थे।
इन दिनों सड़क के किनारे, फुटपाथ, पार्को व छतों पर पुतला बनाने वाले कारीगर व्यस्त नजर आते थे। लेकिन इस बार नजारा बिल्कुल बदला हुआ है। कोविड-19 से परेशान कारोबारियों को इस बार एक अच्छे कारोबार की उम्मीद थी।
क्योंकि पिछले साल पटाखों पर रोक लगने के चलते कई जगह रावण दहन नहीं हुआ था। इस वजह से कारोबारियों को नुकसान झेलना पड़ा था। प्रधानमंत्री द्वारा राममंदिर के लिए भूमिपूजन किए जाने के बाद पुतला कारोबारियों में उम्मीद जागी थी कि इस बार दशहरा का त्योहार भव्य तरीके से आयोजित होगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल न हो सका।
ऐशबाग रामलीला के पंडित आदित्य दिवेदी के मुताबिक इस साल विशालकाय रामलीला मंच पर वृहद रूप से नही मंचित होगी। कोरोना की गाइडलाइन की वजह से केवल परंपराएं निभाई जाएंगी। राम जन्म होगा, पुतला दहन होगा लेकिन 121 फुट के रावण नही होंगे। प्रतीकात्मक 40-50 फुट के पुतले जलेंगे।
इस बार सैकड़ों कलाकारों की 1 किमी लम्बी भरत मिलाप यात्रा भी नहीं निकल पाएगी। मंचन की जगह राम चर्चा, राम प्रसंग पाठ सब ऑनलाइन होगा। घर घर प्रसाद बंटेगा। समिति में रामलीला का सेट, व्यवस्था आदि में 400-500 कलाकार लगते रहे है। जिनके लिए संकट रहेगा। 17 अक्टूबर से रामलीला का मंचन शुरू होना है।