नई दिल्ली। दवाओं, टीकों जैसे सामान सुदूर इलाकों में कम समय में पहुंचाने के लिए ड्रोन का वाणिज्यिक इस्तेमाल इस साल के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है। दृश्य सीमा से दूर ड्रोनों के परिचालन के लिए नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा अनुमति प्राप्त ऑपरेटरों में शामिल स्काई एयर मोबिलिटी के मुख्य परिचालन अधिकारी विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) एस. विजय ने बताया कि परीक्षण अगले महीने शुरू होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, “ यदि सब कुछ सामान्य रहा तो इस साल के अंत तक सामान पहुंचाने में ड्रोन के वाणिज्यिक इस्तेमाल की अनुमति मिल जायेगी। शुरू में दवाओं, टीकों और प्राकृतिक आपदा के समय खाने के पैकेट जैसी चीजों की अनुमति मिलने की संभावना है।”
डीजीसीए ने ड्रोन परेशन के लिए 500 मीटर की दूरी को दृश्य सीमा के रूप में परिभाषित किया है। स्काई एयर तेलंगाना सरकार की ‘मेडिसिन फ्रॉम दि स्काई’ (एमएफटीएस) परियोजना में काम कर रही है। विजय के अनुसार, कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से दृश्य सीमा से बाहर ड्रोन के इस्तेमाल संबंधी नीतिगत बदलाव की प्रक्रिया तेज हुई है। उन्होंने कहा, “पहली लहर के कारण परीक्षण में देरी हुई थी। दूसरी लहर ने इसे गति प्रदान की है। अब लोगों को समझ आ रहा है कि आपदा के समय ड्रोन का इस्तेमाल कितना प्रभावशाली हो सकता है।”
उन्होंने बताया कि लंबी दूरी के ड्रोन ऑपरेशन के लिए काफी डाटा उपलब्ध है। पिछले साल कुछ अफ्रीकी देशों ने भी ड्रोन से दवाओं का वितरण शुरू किया है। उनकी भौगोलिक परिस्थितियां हालांकि अलग हैं और उनके अनुभव को हम जस का तस नहीं अपना सकते। इसीलिए अलग से परीक्षण किया जा रहा है। एमएफटीएस परियोजना के लिए स्काई एयर ने विशेष डिब्बों का इंतजाम किया है जिनमें दवाओं और टीकों को खास तापमान पर रखकर उनके गंतव्यों तक पहुंचाया जा सकेगा।
विजय ने बताया कि जब सामान पहुंचाने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल की अनुमति मिल जायेगी तो अचानक मांग बढ़ेगी। बड़ी संख्या में ड्रोन तो उपलब्ध होगा, लेकिन उनके लिए पायलट तैयार करना चुनौती होगी। देश में ड्रोन पायलटों का प्रशिक्षण पिछले साल दिसंबर में शुरू हुआ है। अब तक जितने पायलटों का प्रशिक्षण हुआ है वे पहले से ही किसी न किसी संस्थान के लिए काम कर रहे हैं। इसे देखते हुये शुरुआती दिनों में प्रशिक्षित ड्रोन पायलटों की कमी हो सकती है।