अशाेक यादव, लखनऊ। कोयले की भारी कमी के कारण प्रदेश में बिजली संकट गहरा गया है। पारीछा व हरदुआगंज में कोयला लगभग समाप्त हो चुका है, जबकि ओबरा व अनपरा में दो-ढाई दिन का कोयला बचा है। ऐसे में स्थिति भयावह हो गई है।
पावर कॉरपोरेशन के सूत्रों के अनुसार रविवार को बिजली की मांग करीब 19 हजार मेगावाट हो रही थी। इस दौरान राज्य में तापीय उत्पादन 3192 मेगावाट व जलीय उत्पादन 862 मेगावाट हो रहा था। निजी क्षेत्र से 4922 मेगावाट बिजली आयात की जा रही थी। ऐसे में इन जगहों से कुल उपलब्धता 8976 मेगावाट थी।
मांग को पूरा करने के लिए एनटीपीसी समेत केंद्रीय बिजलीघरों से बिजली आयात की जा रही थी पर कोयले की कमी के कारण यहां से जरूरत भर बिजली नहीं मिल पा रही थी। मांग व उपलब्धता में करीब पांच हजार मेगावाट का अंतर बना रहा। इस कारण गांवों, तहसीलों व बुंदेलखंड क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बिजली कटौती होती रही।
इस बीच, ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि कोयला संकट के कारण देश की बिजली व्यवस्था चरमरा सकती है। उन्होंने कहा कि देश में कोयले से चलने वाले 135 पॉवर प्लांट है जिनमें आधे से ज्यादा ऐसे हैं जहां कोयला का स्टॉक समाप्त होने के कगार पर है।
यहां दो से चार दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है। उधर, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात कर स्थिति पर काबू करने की मांग की।