बुलंदशहर / लखनऊ : जीतू फौजी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तारी के बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. बता दें कि पुलिस ने जीतू फौजी की पुलिस रिमांड नहीं मांगी, लिहाजा अदालत ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इससे पहले सूत्रों ने कहा था कि जीतू फौजी पिछले 36 घंटे से पुलिस की रडार पर था. पुलिस की हिरासत में जीतू से पुछताछ हुई. पुलिस के सामने जीतू ने स्वीकार किया है कि वह भीड़ का हिस्सा था. दरअसल, बुलंदशहर में गोकशी के शक में भड़की हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें एक पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह थे और एक सुमित नाम का युवक था.
मेरठ के सीनियर पुलिस ऑफिसर एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक सिंह ने कहा कि हमने आर्मी जवान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू को गिरफ्तार कर लिया है. उसे सेना ने रात 12.50 बजे हमें सौंपा. प्राथमिक पूछताछ पूरी हो चुकी है।
एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक ने कहा कि पूछताछ में जीतू ने स्वीकार किया है कि वह भीड़ का हिस्सा था. प्रथम दृष्टया यह सच पाया गया. हालांकि, यह अभी तक पता नहीं लग पाया है कि वह इंस्पेक्टर या सुमित को गोली मारने वाला व्यक्ति है या नहीं. उसने कहा कि वह ग्रामीणों के साथ वहां गया, लेकिन पुलिस पर पत्थरबाजी की बात से उसने इनकार कर दिया है. जीतू के मोबाइल को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा. हालांकि, मीडिया के सामने जीतू ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उसे नहीं मालूम गोली किसने चलाई है.
जीतू को पकड़ने के लिए पुलिस की दो टीमें जम्मू-कश्मीर के सोपोर गई थी. उसे शुक्रवार की रात में हिरासत में ले लिया गया था. बताया जा रहा है कि जीतू फौजी राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात है और हिंसा के दिन मौके पर भी मौजूद था. जितेंद्र मलिक सोपोर में राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात है. वह 15 दिन की छुट्टी पर बुलंदशहर आया था. इतना ही नहीं, हिंसा के दिन मौके पर मौजूद था. हिंसा के बाद सोमवार को बुलंदशहर से भागकर सोपोर आ गया था.
बुलंदशहर भीड़ हिंसा मामले में सेना ने जितेंद्र मलिक को जांच में सहयोग करने को कहा था. जितेंद्र ने अपनी रेजिमेंट को बताया कि उसके गांव के खेत में गौ मांस मिला था. वो इसलिए मौके पर भी गया था. पुलिस को बुलाने वालों में वो भी था. उसने अपनी रेजिमेंट को बताया कि वो हिंसा में शामिल नहीं था. वो अपने गांव वालों के साथ स्याना चौकी गया था.