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केशव रंजन बनर्जी ने बताया, भारतीय क्रिकेट को धोनी का सबसे बड़ा योगदान

रांची के जवाहर विद्या मंदिर में फुटबॉल खेलने वाले महेंद्र सिंह धोनी को पहली बार क्रिकेट का बल्ला थमाने वाले केशव रंजन बनर्जी अपने इस शिष्य के खेल से संन्यास को लेकर लग रही अटकलों से दुखी हैं. वर्ल्‍डकप 2019 के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों भारतीय टीम की हार के बाद से लगातार कयास लगाये जा रहे हैं कि धोनी ने शायद भारत के लिये आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेल लिया है. इन कयासों के बीच धोनी के भविष्य को लेकर केशव रंजन बनर्जी से पांच सवाल किए गए. एक सवाल के जवाब में केशव ने कहा कि धोनी का भारतीय क्रिकेट को सबसे बड़ा योगदान यह रहा कि उसने टीम को जीतने का आत्मविश्वास दिया और छोटे शहरों के लड़कों को ऊंचे-ऊंचे सपने देखने का भरोसा दिया.
सवाल : क्या आपको लगता है कि धोनी ने अपना आखिरी मैच खेल लिया है या अभी उनमें क्रिकेट बाकी है ?
जवाब : अगर आप मेरी राय पूछें तो वह जबर्दस्त फिट है और खेल सकता है. अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन वह अगला वर्ल्‍डकप तो नहीं खेलेगा. मुझे लगता है कि अगले साल होने वाले टी20 वर्ल्‍डकप की टीम में उसे रहना चाहिये. वैसे इस बारे में फैसला BCCI को फैसला लेना है, मेरे चाहने से क्या होगा.सवाल : आप धोनी को भविष्य में किस भूमिका में देखते हैं ?
जवाब : धोनी के पास अपार अनुभव और क्रिकेट की जबर्दस्त समझ है. वह खेल से संन्यास लेने के बाद भी खेल को बहुत कुछ दे सकता है. बीसीसीआई को देखना है कि वह उसकी सेवायें कैसे लेता है. मुझे लगता है कि वह सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल (मानद) है और वह उसे समय देगा. वैसे भी फिटनेस को लेकर वह काफी जागरूक है और सेना का फिटनेस कार्यक्रम उसके लिये बहुत अच्छा है.
सवाल : क्या धोनी ने आपको संन्यास के बारे में कुछ बताया है ? इस तरह की बातें हो रहीं है कि धोनी को युवा विकेटकीपर के लिए जगह खुद छोड़ देनी चाहिए, इस बारे में आप क्या सोचते है?
जवाब : मेरी वर्ल्‍डकप से दो महीने पहले उससे बात हुई थी. मैं उसको बचपन से जानता हूं और उसके मन में क्या चल रहा है, कोई पता नहीं कर सकता. अगर मेरी राय पूछें तो बीसीसीआई को धोनी को ठीक से ‘मैनेज’ करना चाहिए क्योंकि टीम को अभी उसकी जरूरत है और ऋषभ पंत जैसे युवा खिलाड़ियों को वही बेहतर मार्गदर्शन दे सकता है.
सवाल : भारतीय क्रिकेट को धोनी का सबसे बड़ा योगदान क्या रहा ?
जवाब : वह टेस्ट रैंकिंग, टी20 और वनडे में भारत को नंबर वन रैंकिंग तक लाया. दो वर्ल्‍डकप (टी20 2007 और वनडे 2011) जिताया. वह सभी प्रारूप का चैम्पियन है और इससे ज्यादा क्या कोई योगदान देगा. उसने टीम को जीतने का आत्मविश्वास दिया और छोटे शहरों के लड़कों को ऊंचे सपने देखने की कूवत दी. उसका नाम भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा.
सवाल: क्या आपको अपनी गुरुदक्षिणा मिल गई ?
जवाब : मुझे भौतिक उपहारों में कभी रुचि नहीं रही आप बच्चे को पाल पोसकर बड़ा करते हैं तो क्या उससे इसकी एवज में पैसा लेते हैं. हमने कभी ऐसा नहीं सोचा कि वह बड़ा खिलाड़ी बन जायेगा तो कुछ मांगेंगे. लेकिन उसने जो नाम और शोहरत कमाई है, वही मेरी गुरुदक्षिणा है. यह सोचकर तसल्ली मिलती है कि देश को ऐसा होनहार क्रिकेटर देने में हमारी भी कुछ भूमिका रही . जब भी धोनी का जिक्र होगा तो कहीं न कहीं हमारा नाम भी उसके साथ जुड़ा होगा.

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