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केंद्र सरकार की आपत्ति के चलते सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस अकील कुरैशी को त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की आपत्ति के चलते सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस अकील कुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने के बजाए अब उन्हें त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की है. कोलेजियम ने 10 मई को जस्टिस अकील का नाम मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद के लिए सिफारिश की थी. जस्टिस अकील गुजरात हाईकोर्ट में सीनियर न्यायाधीशों में से एक हैं. हालांकि केंद्र सरकार ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी थी और 7 जून को जारी एक अधिसूचना में जस्टिस रवि शंकर झा को कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बनाने की घोषणा कर दी गई. इसके बाद 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि उसे कानून और विधि मंत्रालय की ओर से जस्टिस कुरैशी के पदोन्नति के बारे में संवाद हुआ है. शुक्रवार की रात सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट में अपलोड किए गए एक प्रस्ताव में कोलेजियम ने कहा, ‘ 23 अगस्त और 27 अगस्त को हुए विचार-विमर्श और संलग्न दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए कोलजियम अपने 10 मई के प्रस्ताव में संशोधन करता है कि जस्टिस अकील कुरैशी को त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की जाती है’. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश का हाईकोर्ट देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट में से एक है जबकि त्रिपुरा हाईकोर्ट सबसे छोटा. बीते महीने गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर केंद्र सरकार पर जस्टिस अकील की नियुक्ति में हो रही देरी का मुद्दा उठाकर न्यायापालिका की स्वतंत्रता के हनन का आरोप लगाया. याचिका में आरोप लगाया कि 10 मई को कोलेजियम की ओर से की गई सिफारिश में 10 अत्तिरिक्त जजों की विभिन्न हाईकोर्टों में नियुक्ति पर केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी गई लेकिन जस्टिस अकील की नियुक्ति को लटका दिया गया.

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