अशाेक यादव, लखनऊ। भाकपा (माले) राज्यसभा में विपक्ष की मांग के बावजूद बिना मत विभाजन के संसद द्वारा पारित तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ किसान संगठनों के 25 सितंबर के देशव्यापी प्रतिवाद व भारत बंद को समर्थन देने की घोषणा की है।
इसके साथ ही माले नेता ने इन विधेयकों को राज्य सभा में जबरन पारित कराने की निंदा की और किसानों के हित में इन्हें बिना शर्त वापस लेने की भी मांग की है।
माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने गुरूवार को जारी बयान में कहा कि किसान-विरोधी इन विधेयकों का उद्देश्य देश में कारपोरेट और कान्ट्रैक्ट फार्मिंग की सुविधा के लिए सीमांत और छोटे किसानों की आजीविका को छीनना है।
किसानों को कम कीमत पर अपनी उपज निजी कंपनियों व कारपोरेट को बेचने के लिए मजबूर किया जाएगा, जबकि कारपोरेट को कृषि लागत सामग्री की मूल्यवृद्धि की छूट रहेगी। ये विधेयक देश को कंपनी राज के हवाले करने का माध्यम बनेंगे।
उन्होंने कहा कि कृषि अभी भी देश के दो-तिहाई से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करती है। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को सी 2+50 सूत्र द्वारा तय करने और संसद में एक कानून बनाने पर जोर दिया, ताकि एमएसपी पर कृषि उपज की सरकारी खरीद की गारंटी दी जा सके। उन्होंने इन विधेयकों को राज्य सभा में पारित कराने की निंदा की और किसानों के हित में इन्हें बिना शर्त वापस लेने की भी मांग की है।