अशाेक यादव, लखनऊ। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से कहा कि हम अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ नहीं हैं, आप बताएं कि सरकार कृषि कानूनों पर रोक लगाएगी या हम लगाएं?’ प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कृषि कानूनों को लेकर समिति की आवश्यकता को दोहराते हुए कहा कि अगर समिति ने सुझाव दिया तो, वह इसके क्रियान्वयन पर रोक लगा देगा।
शीर्ष न्यायालय ने केन्द्र से कहा, ”हम अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ नहीं हैं, “आप बताएं कि सरकार कृषि कानूनों पर रोक लगाएगी या हम लगाएं?” हालांकि अटॉर्नी जनरल केके. वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत से कहा कि किसी कानून पर तब तक रोक नहीं लगाई जा सकती, जब तक वह मौलिक अधिकारों या संवैधानिक योजनाओं का उल्लंघन ना करे।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से केन्द्र और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे वह ”बेहद निराश” है। प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, ”क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं।”
उसने कहा, ”हम बातचीत की प्रक्रिया से बेहद निराश हैं।” पीठ ने कहा, ”हम आपकी बातचीत को भटकाने वाली कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन हम इसकी प्रक्रिया से बेहद निराश हैं।” पीठ में न्यायमूर्ति एस. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. सुब्रमण्यम भी शामिल थे।
शीर्ष अदालत प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध बरकरार रहने के बीच नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई कर रही थी।
उसने कहा ” यह एक बहुत ही नाजुक स्थिति है।” पीठ ने कहा, ”हमारे समक्ष एक भी ऐसी याचिका दायर नहीं की गई, जिसमें कहा गया हो कि ये तीन कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं।” वहीं, न्यायालय ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से कहा, ”आपको भरोसा हो या नहीं, हम भारत की शीर्ष अदालत हैं, हम अपना काम करेंगे।”