नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी में अपनों की अनदेखी कर बाहरियों को राज्यसभा का टिकट देने पर अब पार्टी के भीतर का विरोध खुलकर सामने आ रहा है. आप के पार्षद और राष्ट्रीय परिषद के सदस्य गुरुवार को सीएम केजरीवाल के घर के बाहर प्रदर्शन कर टिकट बंटवारे का विरोध कर रहे हैं. वहीं पार्टी के बाग़ी नेता कपिल मिश्रा विरोध में राजघाट जाकर मौन व्रत पर बैठे हैं. इधर ख़ुद का पत्ता काटे जाने के बाद पार्टी के सीनियर नेता कुमार विश्वास काफ़ी नाराज़ हैं.इस पूरे गतिरोध पर आप से राज्यसभा उम्मीदवार और सीनियर नेता संजय सिंह ने बताया कि बाहरी लोगों को लेने का फैसला पार्टी का है, जो सबको स्वीकार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि दो गुप्ता का सवाल उठ रहा है, लेकिन हमने हमेशा दिखाया है हम कोई जातिवादी नहीं है. अरविंद केजरीवाल कोई जातिवादी नहीं हैं. हम पर हमेशा आरोप लगे हैं लेकिन हर बार हम साफ निकल कर आते हैं.
संजय ने कहा कि कुमार विश्वास हमारे साथी है और हमेशा रहेंगे. हम कुमार को ज़रूर मनाने जाएंगे. उन्होंने कहा कि रात में कुमार का फोन आया और उन्होंने मुझे बधाई दी है.
आपको बता दें कि बुधवार को आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया था, जिसमें आप ने संजय सिंह, नारायण दास गुप्ता और सुशील गुप्ता को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया था. नाम के ऐलान के बाद कवि और पार्टी नेता कुमार विश्वास का दर्द छलका था. कुमार ने कहा था कि मुझे सर्जिकल स्ट्राइक, टिकट वितरण में गड़बड़ी, जेएनयू समेत अन्य मुद्दों पर सच बोलने के लिए मुझे दंडित किया गया है. मैं इस दंड को स्वीकार करता हूं. कुमार ने पत्रकारों से कहा कि मुझे डेढ़ साल पहले अरविंद ने बुलाकार कहा था कि सर जी आपको मारेंगे लेकिन शहीद नहीं होने देंगे.
कुमार ने राज्यसभा की टिकट पाने वाले उम्मीदवारों पर तंज कसते हुए कहा था कि हर विधायक के लिए रैलियां करके और ट्वीट कर करके, मीडिया में बहस करके जिन्होंने आज पार्टी को खड़ा किया था. ऐसा महान क्रांतिकारी सुशील गुप्ता पार्टी ने चुना है. इसके लिए अरविंद को बधाई देता हूं. कार्यकर्ताओं को लख-लख बधाई देता हूं कि आखिरकार आपकी बात सुनी गई.
उन्होंने कहा कि ऐसे ही दूसरे गुप्ता जी को पार्टी ने टिकट दिया, जिन्होंने कार्यर्ताओं और विधायकों के लिए बहुत काम किया है. कुमार ने कहा कि देशभर में जो लाखों कार्यकर्ता मुझसे से स्नेह रखते हैं मैं उनका आभार प्रकट करता हूं. उन्होंने कहा कि सबको लड़ने पड़े अपने-अपने युद्ध, चाहे राजा राम हो या फिर गौतम बुद्ध. सबकी लड़ाईयां अकेली हैं. मैं अपनी लड़ाई लड़ रहा हू और आप अपनी लड़ाई लड़ें.