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किसान आंदोलन के बीच PM मोदी बोले, पुराने कानूनों के साथ नई सदी का निर्माण नहीं कर सकते

अशाेक यादव, लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि पुराने कानूनों के साथ नई सदी का निर्माण नहीं किया जा सकता। तेज विकास और रिफार्म के लिए कानूनों को बदलना जरूरी है। पिछली शताब्दी से मिले कई कानून अब बोझ बन चुके हैं। किसानों के आंदोलन के बीच यह बातें प्रधानमंत्री ने आगरा मेट्रो के वर्चुअल शिलान्यास के दौरान कही। 

पीएम मोदी ने कहा कि नई सुविधाओं और नई व्यवस्थाओं के लिए रिफॉर्म बहुत ज़रूरी है। जो कानून पिछली शताब्दी में बहुत उपयोगी हुए वो अगली शताब्दी के लिए बोझ बन जाते हैं और इसलिए रिफॉर्म की लगातार प्रक्रिया चलती रहती है। 

पीएम मोदी ने कहा कि लोग अक्सर सवाल पूछते हैं कि पहले की तुलना में अब हो रहे रिफॉर्म ज्यादा बेहतर तरीके से काम क्यों करते हैं? पहले की तुलना में अब अलग क्या हो रहा है? कारण बहुत ही सीधा है। पहले रिफॉर्म टुकड़ों में होते थे। कुछ सेक्टरों, कुछ विभागों को ध्यान में रखकर होते थे। अब एक संपूर्णता की सोच से रिफॉर्म किए जा रहे हैं। 

प्रधानमंत्री ने कानूनों में बदलाव और रिफार्म की बातें ऐसे समय पर कहीं हैं जब अगले ही दिन कानूनों में बदलाव के खिलाफ भारत बंद का आह्वान किया गया है। आठ दिसंबर को हो रहे भारत बंद को कई विपक्षी दलों और राज्य सरकारों का भी समर्थन मिला है। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का निर्देश दिया गया है। 

पिछले कई दिनों से किसान तीन नए कानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस, एनसीपी, डीएमके, सपा, टीआरएस और लेफ्ट पार्टियों ने भारत बंद को समर्थन दिया है। 

माना जा रहा है कि भारत बंद से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। यहां की सीमाएं पहले से सील हैं। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने सीमाओं की एक सूची जारी की है जो उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आने वाले लोगों के लिए खुली हैं। ऐप आधारित एग्रीगेटरों से जुड़े लोगों सहित कुछ टैक्सी और कैब यूनियनों ने भी एक दिन की हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है।

नए कृषि कानूनों के विरोध में हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर इकट्ठा हैं। उनका कहना है कि नया कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को प्रभावित करेगा और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट्स की दया पर छोड़ देगा। सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच बातचीत शनिवार को पांच दौर की चर्चा के बाद भी बेनतीजा रही है। यूनियन नेता नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े हैं।

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