नई दिल्ली: गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ देने के बाद मोदी सरकार अब किसानों, बेरोजगारों और गरीबों के लिए जल्द ही खजाना खोलने जा रही है। केंद्र सरकार, अगली कैबिनेट बैठक में इस बात का ऐलान कर सकती है। यह बैठक मकर संक्रांति के ठीक एक दिन बाद 16 जनवरी को होगी। कैबिनेट की अगली बैठक में सरकार सभी तरह के किसानों, बेरोजगारों और गरीब लोगों को एक मुश्त 30 हजार रुपए की मदद देने का ऐलान कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक इस मदद को यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम (यूबीआई) के तहत दिया जाएगा। हालांकि इस स्कीम के लागू होने के बाद लोगों को राशन और एलपीजी सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी का फायदा नहीं मिलेगा। इसमें वो किसान भी शामिल होंगे,
जो दूसरों के यहां मजदूरी करते हैं। नए प्रस्ताव के मुताबिक किसानों को खेती के लिए अब सरकार सीधे खाते में पैसे देगी। खास बात यह है कि जिन किसानों के पास अपनी जमीन नहीं है, सरकार उन्हें भी इस स्कीम में शामिल करके फायदा पहुंचाएगी। मोदी सरकार के प्लान के मुताबिक गरीब किसानों व बेरोजगारों को प्रत्येक महीना 25 हजार रुपया दिया जाएगा। यह राशि हर महीने के बजाए एकमुश्त दी जाएगी। किसान के परिवार को भी मदद पहुंचाई जा सकती है। राहत पैकेज में बीमा, कृषि लोन, आर्थिक मदद दी जा सकती है। स्कीम में छोटे, सीमांत और बटाईदारों या किराया पर किसानी करने वाले किसानों को फायदा देने पर जोर है। किसानों को राहत देने के लिए मोदी सरकार ने जिन दो मॉडल का अध्ययन किया है उसमें ओडिशा का मॉडल ज्यादा दमदार है।
ओडिशा के कालिया मॉडल में किसानों को 5 क्रॉप सीजन में 25000 रुपए दिए जाते हैं। हालांकि, मोदी सरकार किसान को सालाना एक मुश्त आर्थिक मदद देने पर विचार कर रही है। संसद में वर्ष 2017-17 के लिए पेश आर्थिक सर्वेक्षण में इसका जिक्र किया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि यूबीआई एक बेहद शक्तिशाली विचार है और यदि यह समय इसे लागू करने के लिए परिपक्व नहीं है तो इस पर गंभीर चर्चा तो हो ही सकती है। इसमें कहा गया है कि सिर्फ केन्द्र सरकार की ही करीब 950 योजनाएं चलती हैं जिस पर सकल घरेलू उत्पाद की करीब पांच फीसदी राशि खर्च होती है। इसके अलावा मध्यम वर्ग को खाद्य, रसोई गैस और उर्वरक पर सकल घरेलू उत्पाद की तीन फीसदी राशि खर्च होती है। यह राशि लक्ष्य समूह तक पहुंच सके, इसमें यूबीआई सहायक हो सकता है।