अशाेक यादव, लखनऊ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट को देश को ”आत्मनिर्भर” बनाने की भूमिका रखने वाला बजट करार देते हुए शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी की चुनौतीपूर्ण परिस्थतियां भी सरकार को सुधार के कदम उठाने से डिगा नहीं सकीं। सीतारमण ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2021-22 के बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह भी कहा कि सुधार के कदमों को उठाने का मकसद भारत को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाना है।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती के मद्देनजर कई विशेषज्ञों से चर्चा के बाद यह बजट लाया गया है और इस बजट ने भारत के आत्मनिर्भर बनने की भूमिका रखी है। वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ दूसरे देशों में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप अब भी है, लेकिन यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जिस तरह से काम हुआ और स्थिति से जिस तरह से निपटा गया है उसका नतीजा है कि अर्थव्यवस्था सतत रूप से आगे बढ़ रही है।
वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि महामारी की चुनौतीपूर्ण स्थिति भी सरकार को देश के दीर्घकालीन विकास के लिए सुधार के कदम उठाने से नहीं डिगा सकी। उन्होंने विपक्षी कांग्रेस पर नाम लिये बिना निशाना साधा और कहा कि आजादी के बाद से सत्ता में रहने वाली पार्टी को 1991 में आर्थिक सुधारों की बात सूझी और इस सरकार से और प्रधानमंत्री से बार-बार आर्थिक सुधारों को लेकर सवाल पूछे जाते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी सदन में उपस्थित थे।
सीतारमण ने कहा कि जनसंघ के दिनों से लेकर आज तक भाजपा की आर्थिक नीतियां एकरूप रही हैं और सरकार ने भारतीय उद्यमियों, व्यापारियों, युवाओं आदि के कौशल को सम्मान दिया है। उन्होंने कहा कि मोदी नीत राजग सरकार ने करदाताओं, उद्यमियों और ईमानदार नागरिकों का सम्मान करते हुए इन नीतियों का पालन किया है।
सीतारमण ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी अपने अभिभाषण में किसानों, पूंजी सृजन करने वाले उद्यमियों (वेल्थ क्रियेटर्स) की बात की। इन उद्यमियों के बिना अर्थव्यवस्था कैसे चलेगी? उन्होंने कहा कि बार-बार सवाल खड़ा किया जा रहा है कि इस बजट में कृषि में आवंटन क्यों घटाया गया? उन्होंने कहा कि इस बात को गलत तरह से रखा गया है। वित्त मंत्री ने कहा, ”इस सरकार ने 1.15 लाख करोड़ रुपये का लाभ लगभग 10.75 करोड़ किसानों के खातों में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से हस्तांतरित किया।”
उन्होंने कहा कि हमारा आकलन है कि पश्चिम बंगाल के 65 लाख किसानों को इस योजना का पैसा नहीं दिया जा सका क्योंकि राज्य सरकार की ओर से इन किसानों की सूची नहीं आई, इसलिए हम बजट आवंटन का पूरा उपयोग नहीं कर सके। सीतारमण ने कहा कि किसान सम्मान निधि में किसी तरह की कटौती नहीं की गई है। उन्होंने कहा, ”किसानों के लिए घड़ियाली आंसू बहाने से कुछ नहीं होगा।” उन्होंने बजट पर चर्चा में भाग लेने वाले सभी दलों के 77 सदस्यों का धन्यवाद किया।
वित्त मंत्री ने राहुल गांधी पर संवैधानिक पदों पर विराजमान व्यक्तियों और व्यवस्थाओं के लगातार अपमान करने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि देश आज देख रहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का संसदीय लोकतंत्र में विश्वास खत्म हो गया है। सीतारमण ने कांग्रेस एवं उसके नेतृत्व पर जोरदार हमला किया और कहा कि संसद में विपक्ष का दायित्व सरकार को कठघरे में खड़ा करना और उसकी जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करना है। लेकिन कांग्रेस ‘डूम्सडे मैन’ के नेतृत्व में कहां जा रही है।
वित्त मंत्री ने कहा कि संसद में बजट पर बहस और चर्चा करने की परंपरा रही है। हम भी चर्चा करना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस के नेता क्या भूमिका निभाना चाहते हैं। राज्यसभा में जिनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता बजट पर प्रश्न पूछते हैं और जवाब सुनते हैं, वो लोकसभा में क्यों नहीं होता। आखिर ये क्या तरीका है।
उन्होंने राहुल गांधी के 11 फरवरी के सदन में बजट पर बहस के दौरान किसानों पर दिये गये उनके भाषण को लेकर दस सवाल पूछे और कहा कि हम देख रहे हैं कि वह लगातार भारत को नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे खिलाफ शरारत करने वाले पड़ोसी देश के साथ पार्टी के स्तर पर समझौता कर रहे हैं। सीमा पर तनाव है तो उनके दूतावास से जानकारी ले रहे हैं कि क्या हो रहा है। इतने वरिष्ठ नेता एक गुट से बात करते हैं और भयंकर अपशब्द बोलते हैं, यह एकदम अस्वीकार्य है।
सीतारमण ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने उनके अपशब्दों को लेकर कटाक्ष किया तो तुरंत माफी मांग ली लेकिन फिर से वही चलन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि इन दस प्रश्नों के साथ कांग्रेस की दो प्रवृत्तियां सामने आ गयीं हैं। पहली, ये जनता के लिए लुभावनी योजनाओं को जन्म देते हैं, उसका ठीक से क्रियान्वयन नहीं करते और फिर उसे अपने ‘हमारे दो’ के लिए उपयोग करते हैं। दूसरी, इसके बारे में जब कोई कुछ कहेगा तो उसे बोलने नहीं देंगे और अनर्गल आरोप लगाएंगे।
वित्त मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी ने 11 फरवरी को संवैधानिक पद पर विराजमान लोकसभा अध्यक्ष का अपमान किया। लेकिन अध्यक्ष का बड़प्पन था जो उन्होंने इसे ध्यान नहीं दिया। उन्होंने इससे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का भी अपमान किया था। उन्होंने कहा कि इससे देश जान गया है कि उनका संसदीय लोकतंत्र में विश्वास खत्म हो गया है।