ब्रेकिंग:

कार्तिक मास 2018: कार्तिक स्नान कथा काहै बहुत महत्व, पढ़ने-सुनने मात्र से होती है सारी मुरादें पूरी

कार्तिक मास 2018 में 23 अक्टूबर से आरम्भ हो गया था। 23 नवम्बर, शुक्रवार यानी कार्तिक पूर्णिमा के साथ इस पवित्र कार्तिक मास की समापन होगा। कार्तिक मास के स्नान की महिमा देवों ने भी गाई हैं। कार्तिक स्नान में कार्तिक स्नान कथा का महत्व बहुत अधिक माना गया हैं। मान्यता है कि कार्तिक मास में स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप तो धूलते ही है साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से उस मनुष्य को मृत्योपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। आइए कार्तिक मास 2018 की स्पेशल स्टोरी में जानें कार्तिक स्नान कथा-
कार्तिक स्नान कथा (Kartik Snan Katha)
किसी गांव में एक बुजुर्ग महिला रहती थी। वह कार्तिक मास का व्रत रखा करती थी। उसके व्रत खोलने के समय भगवान श्री कृष्ण आते और खिचड़ी का रखकर चले जाते। बुजुर्ग महिला के पड़ोस में एक औरत रहती थी। वह बुजुर्ग महिला को देखकर ईर्ष्या करती कि इसका कोई नहीं है, फिर भी इसे खाने के लिए खिचड़ी मिल ही जाती है। एक दिन कार्तिक महीने का स्नान करने बुजुर्ग महिला गंगा नदी पर गई। पीछे से भगवान कृष्ण उनके लिए खिचड़ी रख गए। पड़ोसन ने जब खिचड़ी का कटोरा रखा देखा तो वह कटोरा उठाकर घर के पीछे फेंक आई। कार्तिक स्नान के बाद बुजुर्ग महिला ने घर आकर देखा कि आज खिचड़ी का कटोरा नहीं है। वह भूखी ही रह गई। पड़ोसन ने जहां खिचड़ी गिराई थी वहां एक पौधा उगा जिसमें दो फूल खिले। एक बार एक राजा उस नगर से निकला तो उसकी नजर उन दोनो फूलों पर पड़ी। वो उन्हें तोड़कर घर ले आया। घर आकर उसने वह फूल रानी को दिए, जिन्हें सूंघने पर रानी गर्भवती हो गई। कुछ समय बाद रानी ने दो पुत्रों को जन्म दिया।
वह दोनो जब बड़े हो गए, तब वह किसी से भी बोलते नही थे लेकिन जब वह दोनो शिकार पर जाते तब रास्ते में उन्हें वही बुजुर्ग महिला मिलती जो अभी भी यही तक कहती कि कहां गई मेरी खिचड़ी – कहां गया मेरा कटोरा? बुजुर्ग महिला की बात सुनकर वह दोनों कहते कि हम है तेरी खिचड़ी और हम है तेरा कटोरा। हर बार वह शिकार पर जाते तो बुजुर्ग महिला यही बात कहती और वह दोनों वही उत्तर देते। एक बार राजा को ये बात पता चली। उसे आश्चर्य हुआ कि दोनों पुत्र किसी से नहीं बात करते, तो इस बुजुर्ग महिला से कैसे बात करते हैं। राजा ने बुजुर्ग महिला को राजमहल बुलवाया और कहा कि हमारे पुत्र हमसे बात नहीं करते है तो तुमसे यह कैसे बोलते है?
बुजुर्ग महिला ने कहा कि मुझे नहीं पता कि ये कैसे मुझसे बोल लेते हैं। मैं तो कार्तिक का व्रत करती थी और भगवान कृष्ण मुझे खिचड़ी का कटोरा भरकर दे जाते थे। एक दिन मैं कार्तिक स्नान कर वापिस आई तो मुझे वह खिचड़ी नहीं मिली। जब मैं कहने लगी कि कहां गई मेरी खिचड़ी और कहां गया मेरा कटोरा? तब इन दोनों लड़को ने कहा कि तुम्हारी पड़ोसन ने तुम्हारी खिचड़ी फेंक दी थी। तो उसके दो फूल बन गए थे। वह फूल राजा तोड़कर ले गया और रानी ने सूंघा तो पुत्रों का जन्म हुआ। हमें भगवान ने तुम्हारे लिए भेजा है। सारी बात सुनकर राजा ने बुजुर्ग महिला को महल में ही रहने आदेश दिया। हे कार्तिक महाराज ! जैसे आपने बुजुर्ग महिला की बात सुनी वैसे ही आपका व्रत करने वालों की भी सुनना।

Loading...

Check Also

ऋषिहुड यूनिवर्सिटी और मत्सुशिता इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्मेंट एंड मैनेजमेंट में रणनीतिक सहयोग

सूर्योदय भारत समाचार सेवा : भारत के अग्रणी प्रभाव विश्वविद्यालय, ऋषिहुड यूनिवर्सिटी (आरयू) ने जापान …

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com