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कांग्रेस सरकार का स्पीकर पद के चुनाव को लेकर पहला शक्ति परीक्षण आज

भोपाल: आज कांग्रेस सरकार का स्पीकर पद के चुनाव को लेकर पहला शक्ति परीक्षण है। इसके लिए पार्टी ने एनपी प्रजापति और भाजपा ने विजय शाह को प्रत्याशी बनाया है। स्पीकर पद के लिए राज्य में वोटिंग 52 साल पहले 1967 में संयुक्त विधायक दल के कार्यकाल में हुई थी। उस समय कांग्रेस के काशीप्रसाद पांडे को 172 और सोशलिस्ट पार्टी के चंद्रप्रकाश मिश्रा को 117 वोट मिले थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि भाजपा उनके विधायकों को 100-100 करोड़ रुपये देने का ऑफर दे रही है ताकि वह उसके पक्ष में वोटिंग करें। उन्होंने कहा, ‘मेरे पास इस बात के पुख्ता सबूत रिकॉर्डिंग में हैं।

जरूरत पड़ने पर मैं इसे सार्वजनिक करूंगा।’ कांग्रेस ने पहली बार विधायकों को बताया कि उन्हें किस तरह से वोट डालना है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक डिनर का आयोजन किया था जिसमें चारों निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल, सुरेंद्र ठाकुर, विक्रम राणा, केदार डाबर सहित बसपा के संजीव कुशवाह और सपा के राजेश शुक्ला शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने नाराज विधायक राजवर्धन दत्तीगांव से उनकी सीट पर जाकर मुलाकात की। चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस की नजर भाजपा के आठ असंतुष्ट विधायकों पर भी है। भाजपा प्रत्याशी को जिताने की जिम्मेदारी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के कंधों पर है। उन्होंने इस बारे में नरोत्तम, भूपेंद्र सिंह और विश्वास सारंग समेत अन्य नेताओं के साथ देर रात तक कई बार चर्चा की। भाजपा विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के असंतुष्ट, छोटे दलों के विधायकों से संपर्क के प्रयास किए जा रहे हैं।

भाजपा संगठन ने तीन टीमें बनाई हैं जो भाजपा के विधायकों को निगरानी में रखे हुए हैं। यशोधरा राजे सिंधिया ने विधानसभा को एक सप्ताह के अवकाश की सूचना दी थी, लेकिन उन्हें हर हाल में मंगलवार को विधानसभा में उपस्थित रहने को कहा गया है। शिवराज सिंह ने इस बारे में सदन में कहा कि कांग्रेस ने प्रोटेम स्पीकर के चयन में संसदीय परंपरा तोड़ी है। सदन में जब सात से आठ बार के विधायक हैं तो वरिष्ठता के आधार पर उन्हें प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना चाहिए। सदन के बाहर विजयवर्गीय ने कहा कि 2014 में लोकसभा में भाजपा को स्पष्ट बहुमत होने के बाद भी वरिष्ठतम सांसद होने के कारण कमलनाथ को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था और उन्होंने ही सभी सदस्यों को सांसद पद की शपथ दिलाई। अब कमलनाथ इस परंपरा को तोड़ रहे हैं।

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