लखनऊ/ नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली के कनॉट प्लेस में रिपब्लिक परेड की तर्ज पर ‘राफेल परेड’ निकाली. राफेल डील को लेकर कांग्रेस लगातार मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा कांग्रेस ने केंद्र सरकार से पूछा कि लड़ाकू विमान का मूल्य कैसे बढ़ गया, जबकि इसके लिए किया गया ‘भारत-विशिष्ट उन्नयन’ वहीं है, जो यूपीए के शासनकाल के दौरान तय हुआ था.
राफेल डील को लेकर कांग्रेस लगातार हमले तेज करती जा रही है. अब कांग्रेस ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कनॉट प्लेस में रिपब्लिक परेड की तर्ज पर ‘राफेल परेड’ निकाली. इस परेड में नकली राफेल विमानों की झांकी भी शामिल रही. इस दौरान कांग्रेसी कार्यकर्ता पीएम मोदी और अनिल अंबानी के मुखौटे भी लगाए नजर आए.
इससे पहले शनिवार को ही कांग्रेस ने केंद्र सरकार से पूछा कि लड़ाकू विमान का मूल्य कैसे बढ़ गया, जबकि इसके लिए किया गया ‘भारत-विशिष्ट उन्नयन’ वहीं है, जो यूपीए के शासनकाल के दौरान तय हुआ था. कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण से इस पर जवाब मांगते हुए पूछा कि जब इससे जुड़ी प्रणाली और हथियार वहीं है, जिसे यूपीए के शासनकाल में भारतीय वायुसेना ने मंजूरी दिए थी, तो प्रति विमान लागत कैसे बढ़ गई?
कांग्रेस नेता ने एनडीए सरकार पर ‘राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता’ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कथित तौर पर ‘प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को कैसे छोड़ दिया और राफेल सौदे के तहत विमानों की संख्या 126 से घटाकर 36 कर दी.
सुरजेवाला ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि मोदी और सीतारमण ने संसद के भीतर और बाहर जिस ‘भारत-विशिष्ट उन्नयन’ का जिक्र किया था वे वही हैं, जिस पर कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा 126 राफेल लड़ाकू विमानों की अधिसूचना जारी करने से पहले वायुसेना ने निर्णय किया था.’
उन्होंने दावा किया कि यूपीए के शासन के दौरान एविएशन क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों की गुणात्मक आवश्यकताओं के तहत 13 भारत-विशिष्ट उन्नयनों का फैसला किया गया था. इनमें रडार उन्नयन, हेल्मेट-माउंटेड डिस्प्ले, टोड डिकाय सिस्टम, लो-बैंड जैमर, रेडियो एलिमीटर और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बनी एयरफील्ड में परिचालन की क्षमता शामिल थी.
कैथल से विधायक सुरजेवाला ने कहा, ‘अगर यह विशेष विवरण यूपीए सरकार के दौरान पहले से ही तय हो गए थे और इन्हीं पर मोदी सरकार ने राफेल लड़ाकू विमान सौदा किया, तो फिर जनता को 41 हजार करोड़ रुपये का नुकसान कैसे पहुंचाया गया?’
उन्होंने मोदी सरकार को यह दावा करने के लिए आड़े हाथ लिया कि यूपीए शासनकाल के दौरान राफेल सौदे के तहत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का कोई करार नहीं हुआ था. कांग्रेस ने कहा कि यूपीए सरकार के शासन में जारी की गई आरपीएफ प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री के ‘झूठों’ को पूरी तरह बेनकाब करता है. वर्ष 2019 में सत्ता में आने पर कांग्रेस के इस सौदे की समीक्षा करने के सवाल पर सुरजेवाला ने कहा कि अगर इस सरकार ने मामले पर संयुक्त संसदीय समिति का गठन नहीं किया, तो जांच की जाएगी.