अमरावती: आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस को प्रचंड बहुमत से जीत दिलाने वाले वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने गुरुवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. राज्यपाल ई एस एल नरसिम्हन ने 46 वर्षीय नेता को पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी. उनकी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस को विधानसभा की 175 में से 151 सीटें मिली हैं. वाईएसआर कांग्रेस ने पांच साल पहले तेलंगाना के गठन के बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने एन. चन्द्रबाबू नायडू की टीडीपी को बुरी तरह हराया है.इसके साथ ही, वाईएसआर कांग्रेस ने राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से 22 पर जीत दर्ज की. रेड्डी ने वियजवाड़ा के आईजीएमसी स्टेडियम में आयोजित समारोह में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में दोपहर में पर तेलुगू भाषा में शपथ ली.
आज सिर्फ रेड्डी ने शपथ ली है. उनकी मंत्रिपरिषद सात जून को शपथ लेगी. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव, द्रमुक प्रमुख एम. के. स्टालिन और पुडुचेरी के स्वास्थ्य मंत्री मलादी कृष्ण राव विशेष अतिथि थे. तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री महमूद अली, विधानसभा के अध्यक्ष पोचाराम श्रीनिवास रेड्डी, मंत्री टी. श्रीनिवास यादव भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए. रेड्डी की मां और वाईएसआर की मानद अध्यक्ष वाई एस विजयम्मा, उनकी पत्नी भारती और बहन शर्मिला के अलावा परिवार के अन्य सदस्य भी वहां मौजूद थे. वैसे तो जगन मोहन रेड्डी को राजनीति विरासत में मिली, लेकिन राजनीतिक मंजिल तक जगन मोहन को मजबूत इच्छाशक्ति ने पहुंचाई. जगन मोहन के पिता वाईएसआर रेड्डी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. साल 2009 में जगन मोहन के पिता वाईएसआर रेड्डी की एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गयी थी. जगन मोहन रेड्डी की राजनीतिक यात्रा यहीं से शुरू हुई. राजनीति में आने से पहले वो एक सफल कारोबारी थे. लेकिन पिता की आकस्मिक मौत ने जगन मोहन को अंदर से तोड़ दिया. उन्हें उम्मीद थी कि जिस कांग्रेस पार्टी को आंध्र प्रदेश में मजबूत करने के लिए उनके पिता ने दिन-रात एक कर दिया था. उनकी मौत के बाद बेटे को पार्टी में तरजीह मिलेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
साल 2009 में जगन मोहन रेड्डी उस कांग्रेस के दफ्तर से गुस्से में बाहर निकल गए थे. जब उनके पिता के निधन के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद नहीं दिया गया. कांग्रेस ने दिवंगत मुख्यमंत्री के उत्तराधिकारी के तौर पर के रोसैया को चुना. यह शीर्ष पद था जो कांग्रेस और जगनमोहन रेड्डी के बीच विवाद का कारण बन गया. उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद मुख्यमंत्री पद की पैरवी की थी और जब उनसे कांग्रेस के नेता मिलने को तैयार नहीं हुए तो उन्होंने खुद ही कांग्रेस से दूरी बना ली और पिता के नाम पर वाईएसआर कांग्रेसश् अलग पार्टी बना ली.