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कांग्रेस की प्रवक्ता रहीं प्रियंका चतुर्वेदी शिवसेना में शामिल, कांग्रेस के लिए मैंने अभद्र भाषा से लेकर हाथापाई तक झेली

मुंबई : कांग्रेस की प्रवक्ता रहीं प्रियंका चतुर्वेदी शिवसेना में शामिल हो गई हैं. उन्होंने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में शिवसेना ज्वाइन की. इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैं मुंबई में पली बढ़ी हूं. पिछले कुछ दिनों से मुंबई से कट गई थी, लेकिन अब मैं वापस यहां जुड़ना चाहती हूं. मैंने लौटने का मन बनाया तो इस संगठन के अलावा कोई और संगठन ध्यान में नहीं आया. प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने साथ हुई अभद्रता का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे दुख इस बात का है कि आरोपियों को दोबारा वापस बुला लिया गया. मैंने कांग्रेस को 10 साल दिये. मैंने सब सोच-समझकर ही शिवसेना से जुड़ने का मन बनाया है. जहां भी पार्टी को मजबूत कर सकती हूं, वहां काम करूंगी. मथुरा से टिकट मांगने के सवाल पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि मैंने टिकट नहीं मांगा था, बल्कि वहां मेरे मामा का घर है. इस वजह से जुड़ाव है.

इससे पहले प्रियंका चतुर्वेदी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर कहा वह भारी मन से इस्तीफा दे रही हूं. उन्होंने 10 साल तक पार्टी में रहकर पूरी लगन से काम किया है. उन्होंने लिखा, ‘पिछले कुछ दिनों में हुए कुछ खास घटनाओं ने पूरा भरोसा दिला दिया कि संगठन में मेरी सेवाओं का संगठन में कोई मूल्य नहीं है. अब लगता है, जितना समय पार्टी में बिताऊंगी, मेरे आत्मसम्मान की कीमत पर होगा. दुःख इस बात का है, महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और सशक्तीकरण की जिस बात का पार्टी प्रचार करती है, और आप खुद आह्वान करते हैं, वैसा पार्टी के कुछ सदस्यों के व्यवहार में नज़र नहीं आता’

मथुरा में अपने साथ कथित तौर पर बदसलूकी करने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ हुई अनुशासनात्मक कार्रवाई को निरस्त किये जाने से नाराज चल रहीं प्रियंका चतुर्वेदी ने शुक्रवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इसके साथ ही उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पार्टी के प्रवक्ता होने का उल्लेख हटा दिया. सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. मथुरा में कथित तौर पर बदसलूकी करने वाले कार्यकर्ताओं को फिर से पार्टी में वापस लिए जाने पर प्रियंका ने खुलकर विरोध दर्ज कराया था. उन्होंने गत 17 अप्रैल को ट्वीट कर कहा था, ‘‘बड़े ही दुख की बात है कि पार्टी खून-पसीना देकर काम करने वालों की बजाय मारपीट करने वाले गुंडों को अधिक वरीयता देती है. पार्टी के लिए मैंने अभद्र भाषा से लेकर हाथापाई तक झेली, लेकिन फिर भी जिन लोगों ने मुझे पार्टी के अंदर धमकी दी, उनके खिलाफ कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं.‘’

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