लखनऊ: कांग्रेस की परंपरा में रचे बसे दिग्गज नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने संघ के मुख्यालय पहुंचे. नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केबी हेडगेवार की जन्मस्थली पहुंचे प्रणब मुखर्जी का स्वागत संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया. पूर्व राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को ‘भारत माता का एक महान सपूत’ बताया.
मुखर्जी ने हेडगेवार के जन्मस्थल का दौरा किया और आगंतुकों के लिए मौजूद किताब में लिखा, “मैं आज यहां भारत माता के महान सपूत को मेरी श्रद्धांजलि और सम्मान पेश करने आया हूं.” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष के समारोह में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हम पूरी दुनिया को एक परिवार की तरह देखते हैं और सबों की भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं. उन्होंने कहा कि विविधता में एकता हमारी ताकत है. संघ प्रमुख मोहन भागवत के संबोधन के बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संबोधन के लिए आए. उन्होंने कहा कि आज मैं राष्ट्र, राष्ट्रवाद, देशभक्ति पर अपनी बात आपके साथ साझा करूंगा.
प्रणब मुखर्जी ने अपने संबोधन में भारत के इतिहास, उसकी संस्कृति, धर्म, भाषा, प्रांत सभी का जिक्र किया. भारत की विशालता का जिक्र करते हुए डॉ. मुखर्जी ने कहा कि भारत हमेशा से खुला समाज रहा है. जो यहां आया वह यहीं का होकर रह गया. उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर राष्ट्र की अवधारणा गलत है. अपने संबोधन में डॉ. मुखर्जी ने कहा कि कॉलोनियन सिस्टम ने यहां कब्जा जमाया. उन्होंने अंग्रेजों के आगमन और उसके विस्तार की चर्चा की. डॉ. मुखर्जी ने कहा कि तीन युद्ध के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश के एक बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया. इसने एक एकीकृत शासन व्यवस्था स्थापित किया. इसका संचालन गवर्नर जनरल के जरिए होने लगा.
डॉ. मुखर्जी ने अपने संबोधन में भारत के व्यापार और उसके विस्तार की चर्चा की. यहां के धर्म और उसके प्रसार की चर्चा की. डॉ. मुखर्जी ने भारत के ऐतिहास शिक्षण स्थल का जिक्र किया और कहा कि इस मामले में भारत हरदम समृद्ध रहा है. इस समारोह में बुलाने के लिए डॉ. मुखर्जी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत का आभार जताया. मुखर्जी बुधवार शाम नागपुर पहुंचे थे. आरएसएस ने उन्हें अपने शिक्षा वर्ग को संबोधित करने तथा स्वयंसेवकों के परेड का निरीक्षण करने के लिए निमंत्रित किया था. यह संघ के स्वयंसेवकों के लिए आयोजित होने वाला तीसरे वर्ष का वार्षिक प्रशिक्षण है. आरएसएस अपने स्वयंसेवकों के लिए प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण शिविर लगाता है.
राष्ट्रपति बनने से पहले दशकों तक कांग्रेस पार्टी में रहे मुखर्जी गुरुवार को नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए हैं. उनके इस दौरे की उनकी पार्टी के कई नेताओं समेत कई अन्य लोगों ने आलोचना की है