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कर्णाटक चुनाव परिणाम: बीजेपी सबसे बड़ा दल, त्रिशंकु की तरफ बढ़ा कर्नाटक, अब राज्यपाल के विवेक पर सबकुछ निर्भर

कर्नाटक- लखनऊ: कर्नाटक विधानसभा चुनावों के अंतिम परिणाम जैसे-जैसे आते जा रहे हैं त्रिशंकु विधानसभा की तस्वीर साफ होती जा रही है। अभी के रुझानों और सीटों पर जीत हिसाब से जेडीएस किंगमेकर और किंग, दोनों ही बनने की भूमिका में नजर आ रही है। कांग्रेस ने अपनी हार स्वीकार करते हुए जेडीएस को समर्थन देने का ऐलान भी कर दिया है और कुमारस्वामी ने लगे हाथ राज्यपाल को खत लिख आज शाम मिलने का समय भी मांग लिया है।

उधर, बीजेपी ने भी सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। ऐसे में अब राज्यपाल के विवेक पर ही सबकुछ निर्भर करता है। आइए आपको बताते हैं कि प्रसिद्ध एसआर बोम्मई बनाम केंद्र सरकार के मामले के आलोक में या राज्यपाल अपने विवेक के आधार पर क्या क्या फैसले ले सकते हैं…

बीजेपी सबसे बड़ा दल मिला सरकार बनाने का न्योता
कर्नाटक के ही पूर्व मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई बनाम केंद्र सरकार का एक अहम मामला कर्नाटक के संदर्भ में एक नजीर बन सकता है। बोम्मई केस में कोर्ट आदेश दे चुका है कि बहुमत का फैसला राजनिवास में नहीं बल्कि विधानसभा के पटल पर होगा। आमतौर पर राज्यपाल इस निर्देश का पालन करते हुए सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्योता देते आए हैं। अगर ऐसा ही हुआ तो बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता मिलेगा क्योंकि अभी तक के रुझानों के मुताबिक बीजेपी 104, कांग्रेस 78, जेडीएस प्लस 38 और अन्य 2 सीटें पाती दिख रही हैं। ऐसे में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है।

कांग्रेस-जेडीएस को मौका राज्यपाल पर निर्भर
अब आप कर्नाटक की दूसरी तस्वीर देखें। बीजेपी को अकेले बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। अभी के रुझान और परिणाम के मुताबिक कांग्रेस और जेडीएस मिलकर बहुमत के आंकड़े (222 सीट पर चुनाव के हिसाब से 112) को पार करते दिख रहे हैं। सिद्धारमैया इस्तीफा दे चुके हैं और कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देते हुए सीएम पद का ऑफर दे दिया है। जेडीएस के कुमारस्वामी ने इस ऑफर को स्वीकार करते हुए राज्यपाल से मिलने का समय भी मांग लिया है। ऐसे में राज्यपाल चाहें तो चुनाव बाद बने नए गठबंधन को सरकार बनाने का मौका दे सकते हैं। हाल में गोवा, मेघालय और मणिपुर विधानसभा चुनाव में ऐसा हो चुका है, जब सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस की बजाय चुनाव बाद बने गठबंधन को सरकार बनाने के न्योता मिला था।

अब कर्नाटक की लड़ाई किसके पाले में जाएगी, इसका फैसला राज्यपाल को करना है। अगर राज्यपाल येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं तो बीजेपी को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना होगा। अभी की तस्वीर के मुताबिक तकनीकी तौर पर यह बहुमत बिना जेडीएस के साबित नहीं होगा। ऐसे में विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंकाओं को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता। यानी अब सारी निगाहें कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले पर टिकी हुईं हैं।

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