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कर्नाटक में जारी राजनीतिक संकट: गठबंधन नेताओं ने की अपने बागी विधायकों को मनाने की कोशिश तेज, भाजपा को शक्ति परीक्षण कराने पर अड़ी

नई दिल्ली: कर्नाटक में जारी राजनीतिक संकट के बीच गठबंधन नेताओं ने अपने बागी विधायकों को मनाने की कोशिश शनिवार को तेज कर दी, वहीं उसकी मुश्किलें बढ़ाते हुए पांच और विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस्तीफा स्वीकार नहीं किए जाने पर उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. वहीं भाजपा ने कहा है कि वह मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी से सोमवार को शक्ति परीक्षण कराने को कहेगी. पूरे दिन चली बातचीत में कांग्रेस के संकटमोचक कहे जाने वाले डी के शिवकुमार, उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर, सीएलपी नेता सिद्धरमैया और कुमारस्वामी शामिल थे. बातचीत के बाद ऐसा लगता है कि कांग्रेस अपने एक बागी विधायक एमटीबी नागराज को मनाने में सफल रही है. उन्होंने संकेत दिया है कि वह अपना इस्तीफा वापस लेने पर विचार कर सकते हैं लेकिन देर शाम तक इस संबंध में कोई घोषणा नहीं हुई.

इस बीच भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह कुमारस्वामी से सोमवार को विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने की मांग करेगी .राज्य में जारी संकट के बीच कर्नाटक के सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन के पांच और बागी विधायकों ने उनके इस्तीफे स्वीकार करने से विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार के इनकार के खिलाफ शनिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया. ये पांच विधायक आनंद सिंह, के. सुधाकर, एन. नागराज, मुनिरत्न और रोशन बेग हैं. उन्होंने कहा है कि पहले से ही लंबित दस अन्य बागी विधायकों की याचिका में उन्हें भी शामिल कर लिया जाए. इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होनी है. कर्नाटक में गठबंधन सरकार गंभीर संकट से गुजर रही है. उसके 16 विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है.

इनमें से 13 विधायक कांग्रेस के और तीन जद(एस) के हैं. राज्य के आवास मंत्री एमटीबी नागराज ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने उनसे मुलाकात की और उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेने को कहा. नागराज होसकोट से कांग्रेस विधायक हैं. उन्होंने पिछले हफ्ते विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था. नागराज ने 10 जुलाई को इस्तीफ दिया था. कंग्रेस नेताओं ने उनसे बात करके इस फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा था लेकिन पूरे दिन बातचीत के बाद भी नागराज की मंशा सपष्ट नहीं हुई. नागराज ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सिद्धरमैया और दिनेश गुंडु राव ने मुझसे मुलाकात की और मुझसे इस्तीफा वापस लेने तथा पार्टी में बने रहने का अनुरोध किया.

इस पर विचार करने के लिए मैंने समय मांगा है.”उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि मैं चिक्कबल्लापुरा विधायक सुधाकर से बात करूंगा और इस्तीफा वापस लेने के लिए उन्हें मनाउंगा.” यह पूछे जाने पर कि क्या सारे मतभेद दूर कर लिए गए हैं, नागराज ने कहा कि उन्होंने कुछ असंतोष को लेकर इस्तीफा दिया था और हर राजनीतिक दल में कुछ असहमति होती है. उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी नेतृत्व विधायकों को मनाने की कोशिश कर रहा है. मैं भी उनकी कोशिश में उनकी मदद करने की अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश करूंगा.” इसके बाद नागराज राज्य कांगेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया के आवास के लिए रवाना हो गए. जहां मुख्यमंत्री ने भी बातचीत में भाग लिया.

गौरतलब है कि एक दिन पहले मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने विधानसभा में सभी को हैरान करते हुए घोषणा की थी कि वह सदन में विश्वास मत कराएंगे, जिसके बाद सत्तारूढ़ गठबंधन ने बागी विधायकों को मनाने की कोशिशें तेज कर दी. कांग्रेस के संकटमोचक बताए जा रहे डी के शिवकुमार सुबह करीब पांच बजे नागराज के आवास पर पहुंचे और वह उन्हें मनाने के लिए करीब साढ़े चार घंटे तक वहां रूके. इसके बाद, उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर भी नागराज को इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाने के लिए उनके आवास पर पहुंचे. इसी तरह विधायक रामलिंगा रेड्डी, मणिरत्न, के सुधाकर और आर रोशन बेग को भी मनाने की कोशिश की गई. जद (एस) सूत्रों ने बताया कि कुमारस्वामी इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के कम से कम चार विधायकों के साथ सीधे संपर्क में हैं और उन्हें उम्मीद है कि वे लोग अपने इस्तीफे वापस ले लेंगे.

इस बीच, अटकलों को तेज करते हुए भाजपा नेताओं के एक समूह ने विधायक एस आर विश्वनाथ और बेंगलुरू के पार्षद पद्मानाभ रेड्डी के नेतृत्व में रामलिंगा रेड्डी से उनके अवास पर मुलाकात की. विधानसभा में संभवत: अगले हफ्ते होने वाले शक्ति परीक्षण के लिए अपने- अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही दलों ने अपने- अपने विधायकों को होटलों और रिजॉर्ट में भेज दिया है. सत्तारूढ़ गठबंधन में विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) को छोड़कर कुल 116 विधायक (कांग्रेस के 78, जद(एस) के 37 और बसपा के 1) हैं. दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ 224 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या अब 107 है. अगर गठबंधन के 16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर किए जाते हैं, तो सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की संख्या घट कर 100 रह जाएगी.

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