नई दिल्ली: कर्नाटक के 17 अयोग्य विधायकों की याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने खुद को अलग कर लिया. जस्टिस एम एम शांतनागौदर ने खुद को अलग कर लिया. अब मामले को सीजेआई रंजन गोगोई के पास भेजा गया है. मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी. कर्नाटक के 17 अयोग्य विधायकों द्वारा तत्कालीन स्पीकर रमेश कुमार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई थीं. स्पीकर ने उनके इस्तीफे को खारिज कर दिया था और उन्हें 15 वीं कर्नाटक विधानसभा के कार्यकाल के लिए फिर से विधायक होने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था. बता दें, उन्हें अयोग्य करार दिए जाने के बाद वे येदियुरप्पा मंत्रालय में शामिल नहीं हो सकते, क्योंकि उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था. विधायकों ने अयोग्य ठहराए जाने को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन बताया क्योंकि शीर्ष अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा था कि विश्वास मत के दौरान सदन में उपस्थित होने के लिए बाध्य करने के लिए स्पीकर द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जा सकता. उन्होंने अध्यक्ष पर 10 वीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत अयोग्य ठहराने के आरोपों को गलत बताया और कहा है कि अनिवार्य नोटिस अवधि के बिना निर्णय लिया गया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अध्यक्ष ने संविधान के वर्गों की व्याख्या को जानबूझकर विकृत किया. बागी विधायकों ने यह भी तर्क दिया कि उनमें से अधिकांश ने पहले ही इस्तीफा दे दिया था और उनके इस्तीफे पर फैसला करने के बजाए स्पीकर ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जो कि अवैध है. साथ ही यह भी तर्क दिया कि अध्यक्ष ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन किया था क्योंकि अयोग्यता से पहले कोई सुनवाई नहीं की गई थी. उनका कहना है कि 28 जुलाई को पारित स्पीकर के आदेश “पूरी तरह से अवैध, मनमानी और दुर्भावनापूर्ण” थे, क्योंकि उन्होंने मनमाने ढंग से इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया जबकि वो स्वैच्छिक और वास्तविक थे. उन्होंने कहा कि उन्होंने 6 जुलाई को इस्तीफा दे दिया था, लेकिन स्पीकर केआर रमेश कुमार ने कांग्रेस पार्टी द्वारा 10 जुलाई को दायर “पूरी तरह से गलत” याचिका के आधार पर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया.
कर्नाटक के 17 अयोग्य विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने खुद को सुनवाई से किया अलग
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