लखनऊ। प्रदेश की राजधानी के पॉश इलाके गोमती नगर में रह रहे पूर्व सहायक आवास आयुक्त वीके चौधरी आज तड़के मेरठ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उल्लेखनीय है कि (एनएचआरएम) घोटाले के आरोप में वीके चौधरी पहले भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। शुक्रवार को हुई उनकी यह गिरफ्तारी बीते 2004 में मेरठ में इन्द्रप्रस्थ सहकारी आवास समिति के कूट रचित दस्तावेज बनाकर भूमाफिया को साठगांठ कर करोड़ों रुपए की जमीन बेच दी थी। इसकी एफआईआर मेरठ के पल्लवपुरम थाने में वर्ष 2015 में विजेन्द्र सिंह चौहान ने करायी थी। वीके चौधरी आवास विकास परिषद के लखनऊ आफिस में लम्बे समय तक तैनात रहे हैं। नए साल के चौथे दिन शुक्रवार की सुबह अचानक मेरठ पुलिस वीके चौधरी के गोमतीनगर के विनीतखंड के बी-1/126 मकान पहुंची। पुलिस उनके घर पर दस्तक दी तो पहले अंदर मौजूद गार्ड ने दरवाजा ही नहीं खोला। कई बार कहने पर सुरक्षा कर्मी ने दरवाजा खोला। पुलिस जैसे ही ड्राईंग रूम में पहुंची कि उसी वक्त वीके चौधरी ड्राइंग रूम में आ गए।
पुलिस के मुताबिक करीब पौन घंटे तक मेरठ के दौराला थाने से आए इंस्पेक्टर अपराध इन्द्रपाल सिंह ने उनसे बात की और इसी बीच उन्हें गिरफ्तारी का वारंट दिखाया। इस पर उन्होंने 10 मिनट की मोहलत मांगी। इसके बाद मेरठ पुलिस उन्हें लेकर लखनऊ के गोमती नगर थाने पहुंची। यहां से उन्हें कस्टडी रिमांड के लिए कोर्ट ले जाया गया। सहायक आवास आयुक्त विपिन कुमार चौधरी एनआरएचएम घोटाले में भी 30 मई, 2012 में गिरफ्तार हुए थे। इस मामले में नौ मुकदमे उनके खिलाफ दर्ज थे। वीके चौधरी पैकफेड के एमडी भी रह चुके हैं। जब पुलिस ने उनसे पूछताछ शुरू की तो वे थाने पर कुछ नहीं बोले। वीके चौधरी गोमती नगर थाने के अंदर गुपचुप बैठे रहे। उनसे काफी पूछा गया लेकिन उन्होंने अपना पक्ष नहीं रखा यह मामला साल 2004 का है। उप आवास आयुक्त सब रजिस्ट्रार के पद पर रहते हुए इंद्रपान एस्टेट सहकारी आवास समिति लिमिटेड मेरठ की 52 एकड़ जमीन पर भूमाफियाओं से साठ-गांठ कर समिति को हाईजैक कराकर लगभग 250 से 300 करोड़ का घोटाला करने का आरोप है।
इस आवास समिति पर भूमाफिया सत्यपाल सिंह देशवाल, राजमोहन, आरपीएस चौधरी कब्जा कराने के उद्देशय से साल 2004 में तत्कालीन सहकारी अधिकारी आवास मेरठ राज कुमार के साथ मिलीभगत कर षडयंत्र रचा। इसके बाद इस आवास समिति का फेक रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट वनाकर जारी कर दिया। जबकि 18 मार्च 1985 में इस समिति का संख्या 914 पर रजिस्ट्रेशन हुआ था। इस संबंध में तत्कालीन मंडलायुक्त, मेरठ डॉ प्रभात कुमार ने एक जांच कराई जिसमें भी इसके अपराध की पुष्टि हुई। रिटायर आइएएस अफसर रामबोध मौर्य समेत नौ लोगों के खिलाफ सीबीसीआइडी ने कल्याणपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। यह मुकदमा स्टांप चोरी के लिए धोखाधड़ी और साजिश रचने के आरोप में दर्ज किया गया। रामबोध मौर्य ने मेसर्स अंसल हाउसिंग एंड कंस्ट्रक्शन लिमिटेड को ट्रोनिका सिटी गाजियाबाद में 1997 में एमओयू के जरिए भूमि आवंटित की थी। अंसल ने उक्त भूमि की प्लाटिंग की तो अफसरों ने उसकी रजिस्ट्री और प्लाट खरीदने वालों को यूपीएसआइडीसी का प्रथम आवंटी बताते हुए स्टांप शुल्क में छूट दिलाई।