नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की नीति-निर्धारक संस्था जीएसटी परिषद ने कई राज्यों की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए कपड़ा उत्पादों पर शुल्क की दर को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने के फैसले को टाल दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई जीएसटी परिषद की 46वीं बैठक में कपड़ा उत्पादों पर दर में वृद्धि को एक जनवरी 2022 से लागू नहीं करने का फैसला किया गया।
सितंबर में इसे पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का फैसला लिया गया था। सीतारमण ने परिषद की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि कपड़ा उत्पादों पर शुल्क वृद्धि के फैसले को टालने का निर्णय लिया गया है। कपड़ा उत्पादों पर पहले की तरह पांच फीसदी की ही दर से शुल्क लगेगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए गठित राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह को कपड़ों पर शुल्क की दर के बारे में विचार करने को कहा गया है।
मंत्री समूह को फरवरी 2022 के अंत तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है। कपड़ों के साथ जूता-चप्पल (फुटवियर) पर भी एक जनवरी से शुल्क वृद्धि का फैसला हुआ था। लेकिन इस पर शुल्क टालने के अनुरोध को नहीं माना गया। इसका मतलब है कि जूता-चप्पल पर एक जनवरी से 12 फीसदी की दर से शुल्क लगेगा। दरअसल गुजरात, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, राजस्थान एवं तमिलनाडु समेत समेत कई राज्य कपड़ा उत्पादों पर जीएसटी दर बढ़ाने का विरोध कर रहे थे।
उनका कहना था कि इस फैसले का आम आदमी एवं कारीगरों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री बुग्गना राजेंद्रनाथ रेड्डी ने कहा कि परिधान, वस्त्रों एवं कपड़ा उत्पादों पर जीएसटी लागू होने को लेकर स्पष्टता नहीं है। इसके अलावा नाइलॉन एवं सूती धागे के अलावा मानव-निर्मित एवं प्राकृतिक धागे पर लागू होने वाली दर को लेकर भी स्पष्टता का अभाव है।
फिलहाल मानव-निर्मित रेशे पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है जबकि इससे बने धागे पर दर 12 फीसदी और कपड़े के मामले में पांच फीसदी कर लगता है। जीएसटी परिषद की 17 सितंबर को हुई पिछली बैठक में तय किया गया था कि कपड़ों के अलावा जूता-चप्पल पर एक जनवरी 2022 से 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा।