कन्नौज : मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले अर्शी अस्पताल पर प्रशासन की सख्ती का असर दिखने लगा है। चूंकि वहां का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है, इसलिए वहां भर्ती मरीज अब वहां से पलायन कर दूसरे अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। उधर अस्पताल प्रबंधन भी प्रशासन की कार्रवाई से सहमा हुआ है। हालांकि अस्पताल प्रवंधन की हठधर्मिता में किसी तरह की कमी दिखाई नही दी। बुधवार की शाम जब मरीजो ने शासकीय संसाधनों से दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट होना चाहा तो स्टाफ भुगतान को लेकर अड़ंगेबाजी करने लगा। अंततः पुलिस के आला अफसरों को यहाँ पुलिस तैनात करनी पड़ी। दो अपर मुख्य चिकित्साधिकारियों डॉ राम मोहन तिवारी और डॉ डीपी आर्या ने संयुक्त रूप से बुधवार को अस्पताल की ओपीडी और ऑपरेशन थियेटर को सील कर दिया था। अस्पताल प्रबन्धन की लुके छिपे ढंग से मदद के आरोपों और प्रशासन के बढ़ते दवाब के बीचे अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ राम मोहन तिवारी ने गुरुवार को कार्रवाहक पुलिस अधीक्षक केशव चन्द्र गोस्वामी के आवास पर पहुंचकर उन्हें एक वैकल्पिक तहरीर उपलब्ध कराकर स्वास्थ्य महकमे की ओर से भी अभियोग पंजीकृत कराने को कहा। पुलिस अधीक्षक ने यह तहरीर अपने आदेश के साथ कोतवाली भिजवा दी। अभी तक पुलिस सिर्फ सोनी उर्फ सोनिया के पति अनुज दोहरे द्वारा लिखाये गए मामले की ही जांच कर रही थी। नई तहरीर में एसडीएम सदर शालिनी प्रभाकर द्वारा डीएम को सौंपी गई उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है जिसमे कहा गया है कि झोलाछाप डॉ मुशीर अहमद उनके जांच के लिए अस्पताल पहुंचते समय भी ऑपरेशन थियेटर में एक महिला का ऑपरेशन कर रहा था और मजिस्ट्रेट को मुशीर से मिलने के लिए लगभग 45 मिनट प्रतीक्षा करनी पड़ी। मुशीर ओटी से निकलते समय मोबाइल फोन पर किसी से बात कर रहा था जबकि ओटी में किसी भी दशा में मोबाइल फोन नही ले जाया जा सकता।
तहरीर सौपने के बाद स्वास्थ्य विभाग के आला अफसर सीधे अर्शी अस्पताल पहुंचे और वहाँ मौजूद इक्का दुक्का मरीजो को सरकारी एम्बुलेंस से दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट करके अर्शी को अंतिम रूप से सील कर दिया।
अस्पताल तब सुर्खियों में आया जब हैबतपुर गांव की सोनी का ऑपरेशन डॉ. मुशीर ने सर्जन बन कर डाला था। जिसमें ऑपरेशन के साथ उसका गर्भाशय भी निकाल दिया गया था। जिससे उसकी जिन्दगी सारी खुशियां छीन ली थीं। सोनी का मामला सामने आने के बदा अर्शी अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों में दहशत भी है। मरीजों को डर लग रहा है कि उनकी जिन्दगी के साथ भी कोई खिलवाड़ न हो जाए। कई मरीज तो धीरे-धीरे छुट्टी भी कराने लगे हैं। आसपास के अस्पतालों से अपना इलाज शुरू करा दिया है।