टोरंटो: कनाडा में खालिस्तान समर्थकों को बड़ा झटका लगा है। यहा जस्टिस ट्रुडो सरकार ने पहली बार खालीस्तान को उन आतंकी खतरों में से एक माना है जिसका सामना देश कर रहा है। 2018 की पब्लिक रिपोर्ट ऑन टेररिज्म थ्रेट टू कनाडा में इसे चिंता के तौर पर वर्णित किया गया है। सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री राल्फ गूडाले ने इस रिपोर्ट को लेकर कहा कि जहां कनाडा में मुख्य चुनौती उन व्यक्तियों और समूहों से है जो सुन्नी चरमपंथी समूहों द्वारा प्रस्तावित हिंसक विचारधारा प्रेरित हैं जैसे कि दाएश (इस्लामिक स्टेट) या अल कायदा।
इसके अलावा शिया और सिख (खालिस्तान) भी चिंता का विषय हैं क्योंकि कनाडा में बेशक उनके द्वारा किए जाने वाले हमले सीमित हैं लेकिन कनाडा के कुछ नागरिक लगातार उनका समर्थन कर रहे हैं, जिसमें आर्थिक मदद देना भी शामिल है। 2013 में स्थापना के बाद यह पहली बार है जब खालिस्तान को पब्लिक रिपोर्ट में अतिवाद के तौर पर उल्लेखित किया गया है। रिपोर्ट में गूडाले ने कहा, कनाडा अतंरराष्ट्रीय स्तर पर स्वागत करने वाला और शांतिपू्र्ण देश के तौर पर जाना जाता है। मगर हम सभी रूपों में हिंसक अतिवाद को अस्वीकार करने और उससे मुकाबला करने के प्रति दृढ़ संकल्प हैं। कनाडा के समुदाय में हिंसा और हिंसा के खतरे के लिए कोई स्थान नहीं है। इसे रोकना और खत्म करना सरकार की पहली प्राथमिकता है।श् खालिस्तान अतिवाद के संदर्भ में रिपोर्ट में कहा गया है,
कनाडा के कुछ व्यक्ति लगातार सिख (खालिस्तान) अतिवाद की अवधारण और आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि खाालिस्तान के समर्थन में हिंसक गतिविधियों में अब कमी आई है। साल 1982-1993 की अवधि के दौरान यह गतिविधियां अपने चरम पर थीं तब व्यक्तियों और समूहों ने बहुत से आतंकी हमलों को अंजाम दिया था। इसमें 1985 में एयर इंडिया की फ्लाइट कनिष्का 182 में आतंकी धमाका का उल्लेख किया गया है जिसमें 331 लोगों की जिंदगी चली गई थी। इसे कनाडा में की गई अब तक की सबसे घातक आतंकवादी साजिश बताया गया है।