कैनबरा: न्यूजीलैंड मस्जिद में हुई हमले और उसके फेसबुक लाइव की घटना के बाद आस्ट्रेलिया की संसद एक ऐसे विधेयक पर विचार कर रही है जिसके तहत सोशल मीडिया पर न्यूजीलैंड मस्जिद नरसंहार जैसी हिंसक तस्वीरें या वीडियो दिखाने पर सोशल मीडिया के कार्यकारियों को जेल हो सकती है। आलोचकों ने सचेत किया है कि प्रतिनिधि सभा के सामने बृहस्पतिवार को रखे गए प्रतिबंधात्मक प्रस्ताव के मीडिया पर सेंसरशिप और आस्ट्रेलिया में निवेश में गिरावट जैसे अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं। सरकार ने क्राइस्टचर्च में हुए हमलों के मद्देनजर यह प्रस्ताव पेश किया गया। न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च की मस्जिदों पर हमला करने वाले हमलावर ने इस हमले का सोशल मीडिया पर सीधा प्रसारण किया था। बता दें कि 15 मार्च को न्यूजीलैंड की दो मस्जिद में हुए द क्राइस्टचर्च नस्लवादी हमले में 50 लोगों की जान चली गई। हमलावर व्यक्ति श्वेतों को सर्वश्रेष्ठ समझने की नस्लवादी सोच से ग्रसित था और उसने दो मस्जिदों में नमाज अता कर रहे लोगों पर गोलियां चलाना शुरू कर दिया।
हमलावर ने इस घटना का फेसबुक पर लाइव वीडियो जारी किया। न्यूजीलैंड मस्जिद हमले के फेसबुक लाइव के बाद फेसबुक ने भी अपने लाइव फीचर के नियमों में बदलाव करने का फैसला किया है। फेसबुक लाइव फीचर में कुछ रिस्ट्रिक्शन्स जोड़ने वाली है। इस हमले के बाद कंपनी विभिन्न क्राइटेरिया के आधार पर तय करेगी कि कौन फेसबुक लाइव कर सकता है। फेसबुक ने 900 से ज्यादा ऐसे वीडियो की पहचान की है, जिनमें 17 मिनट के उस नरसंहार की तस्वीरें दिखाई गई हैं। फेसबुक ने इस वीडियो की पहचान अपनी एआई टूल की मदद से की है, जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में हेट ग्रुप को रिमूव किया है। बता दें कि इससे पहले फेसबुक ने जानकारी दी थी कि उन्होंने हमले के 24 घंटे के अंदर ही दुनियाभर में मौजूद 15 लाख वीडियो को हटाया है, जिसमें न्यूजीलैंड मस्जिद हमले की फुटेज थी। पिछले हफ्ते फ्रांस के एक प्रमुख मुस्लिम समूह ने कहा था कि वह फेसबुक और यूट्यूब के खिलाफ वीडियो स्ट्रीमिंग के जरिए हिंसा भड़काने का मामला दर्ज कराएंगे। बता दें कि फेसबुक दुनियाभर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली सोशल नेटवर्किंग साइट है। इसके दुनियाभर में 270 करोड़ यूजर्स हैं।