लखनऊ : एससी/एसटी एक्ट को लेकर 6 सितंबर को सवर्णों के भारत बंद को पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि यह लोगों की गलत धारणा है कि एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग और दूसरी जातियों पर बनाया जाएगा. मायावती ने कहा कि मेरी पार्टी इस विचार से सहमत नहीं है. बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस घिनौनी राजनीति कर रही है और उसके ही शासन वाले राज्यों में सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है.इस मामले में बीजेपी साजिश कर रही है और राजनीतिक स्वार्थ के लिये इसका विरोध हो रहा है. उन्होंने कहा कि देश में बीजेपी का जनाधार कम हो गया है. बीजेपी ने एससी/एसटी एक्ट के साथ खिलवाड़ किया है. दरअसल आरएसएस की मानसिकता जातिवादी और बीजेपी की नीतियां एससी/एसटी विरोधी है. वहीं दूसरी ओर खबर ये भी है कि मोदी सरकार इस ऐक्ट से नाराज सवर्णों की मनाने की कोशिश की तैयारी में है. बीजेपी इसके लिए एक फ़ॉर्मूले पर काम कर रही है. सूत्रों से पता चला है कि गृह मंत्रालय राज्यों को सलाह दे सकता है कि इस कानून का उपयोग सोच समझकर और बेहद जरूरी होने पर ही किया जाए.
राज्यों से कहा जा सकता है कि इस कानून का इस्तेमाल करने में सावधानी बरती जाए. साथ ही, विरोध करने वालों को आश्वस्त किया जाएगा कि इस कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार गंभीर है. वहीं केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रामदास आठवले ने साफ़ कर दिया है कि एससी-एसटी क़ानून में संसद द्वारा किए संशोधन की समीक्षा नहीं की जाएगी. कानून में बदलाव की मांग करनेवालों को एससी-एसटी को लेकर अपने व्यवहार में बदलाव लाना चाहिए, उनसे अच्छे से पेश होना चाहिए.
एससी\एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18A जोड़ी जाएगी. इसके जरिए पुराने कानून को बहाल कर दिया जाएगा. इस तरीके से सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए प्रावधान रद्द हो जाएंगे. मामले में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान है. इसके अलावा आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिल सकेगी. आरोपी को हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकेगी. मामले में जांच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर करेंगे. जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होगा. एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी. सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत नहीं लेनी होगी.