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एनजीटी ने फॉक्सवैगन को दिए आदेश- कल तक 100 करोड़ रुपए जमा कराए, वर्ना होगी कार्रवाई

नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने अपने आदेश की अवहेलना करने के लिए जर्मनी की ऑटो क्षेत्र की प्रमुख कंपनी फॉक्सवैगन को कड़ी फटकार लगाई है। एनजीटी ने 16 नवंबर 2018 के उसके आदेश के अनुसार 100 करोड़ रुपए जमा ना कराने के लिए गुरुवार को कंपनी की खिंचाई की और उसे 24 घंटे के भीतर धनराशि जमा कराने के निर्देश दिए। फॉक्सवैगन की गाड़ियों से वायु प्रदूषण बढ़ने के मामले में एनजीटी ने कंपनी को फटकार लगाई। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कंपनी को सपष्ट तौर पर कहा कि शुक्रवार शाम 5 बजे तक 100 करोड़ रुपए नहीं जमा कराए तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आदेश नहीं मानने पर कंपनी के इंडिया हेड की गिरफ्तारी हो सकती है और कंपनी की भारत में मौजूद संपत्ति को भी जब्त किया जा सकता है।

फॉक्सवैगन को पिछले साल 16 नवंबर को एनजीटी ने रकम जमा करवाने का आदेश दिया था लेकिन कंपनी ने ऐसा नहीं किया। इस वजह से एनजीटी को सख्ती बरतनी पड़ी। फॉक्सवैगन की डीजल कारों से साल 2016 में नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन काफी ज्यादा हुआ था। कंपनी ने सॉफ्टवेयर के जरिए प्रदूषण का स्तर कम दिखाया। एनजीटी ने नवंबर में 4 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को यह पता लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी कि फॉक्सवैगन की गाड़ियों से पर्यावरण को कितना नुकसान हुआ। कमेटी की रिपोर्ट मंगलवार को सामने आई। इसने फॉक्सवैगन पर 171.34 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फॉक्सवैगन की कारों से साल 2016 में दिल्ली में करीब 48.678 टन नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ था। एनजीटी अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने ऑटोमोबाइल कंपनी द्वारा उसके आदेश का पालन ना करने पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, आपने हमारे आदेश का पालन क्यों नहीं किया। हम आपको और समय नहीं देंगे।

पीठ ने फॉक्सवैगन को राशि जमा कराने के बाद एक हलफनामा जमा कराने के लिए भी कहा। अधिकरण को सूचित किया गया था कि उच्चतम न्यायालय भी इस मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है जिसके बाद उसने मामले पर सुनवाई स्थगित कर दी थी। फॉक्सवैगन कंपनी ने पहली बार साल 2015 में माना था कि उसने साल 2008 से साल 2015 के बीच दुनियाभर में बेची गई एक करोड़ 11 लाख गाड़ियों में डिलीट डिवाइस लगाई थी। इस डिवाइस की खासियत ये है कि यह लैब परीक्षण के दौरान फॉक्सवैगन तारों को पर्यावरण के मानकों पर खरा साबित कर देती थी, जबकि सच्चाई ये थी कि फॉक्सवैगन कार नाइट्रिक ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन ज्यादा कर रही थीं। यह उत्सर्जन यूरोपीय मानकों से चार गुना अधिक था। फॉक्सवैगन को इस हेर-फेर के कारण अब तक अलग-अलग जगहों पर अरबों रुपए का जुर्माना देना पड़ा है। कंपनी सिर्फ जर्मनी में ही करीब 8,300 करोड़ रुपए का जुर्माना भर चुकी है, साथ ही कंपनी के कुछ शीर्ष अधिकारियों को इस मामले में जेल भी हो चुकी है। अब भारत में भी फॉक्सवैगन कंपनी की मुश्किल बढ़ गई है।

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