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एनएसए अजीत डोभाल के दौरे के बाद कश्मीर भेजे गए 10 हजार अतिरिक्त जवान, महबूबा मुफ्ती ने किया विरोध

नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के दौरे से लौटने के तत्काल बाद कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती की गयी है. गृह मंत्रालय से मंजूरी के बाद कुछ कंपनियां कश्मीर पहुंच गयीं हैं. अन्य कंपनियां जल्द से जल्द घाटी पहुंचेंगी.केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अतिरिक्त केंद्रीय बलों की तैनाती से कश्मीर में आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करने का अभियान मजबूत होगा. साथ ही, राज्य में कानून-व्यवस्था को चाक-चौबंद बनाए रखने में मदद मिलेगी.इस बीच सरकार के इस फैसले का राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने विरोध किया है.

उन्होंने ट्वीट कर कहा कि केंद्र के फैसले ने घाटी में भय का वातावरण पैदा कर दिया है. उन्होंने लिखा, घाटी में अतिरिक्त 10 हजार जवान तैनात करने का केंद्र का फैसला लोगों के मन में भय पैदा कर रहा है. कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है. जम्मू-कश्मीर की समस्या राजनीतिक है जिसे सैन्य संसाधनों से नहीं सुलझाया जा सकता है. भारत सरकार को दोबारा सोचने और अपनी नीति बदलने की जरूरत है.गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में अभी राज्यपाल शासन है. इससे पहले 24 फरवरी को देशभर से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को कश्मीर भेजा गया था. अमरनाथ यात्रा की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था पर भी महबूबा मुफ्ती ने विरोध जताया था. गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, इन 100 कंपनियों में सीआरपीएफ की 50, बीएसएफ-10, एसएसबी-30 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां है. हर एक कंपनी में 90 से 100 कर्मी मौजूद रहते हैं

इस तरह से सुरक्षाबलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों को कश्मीर भेजने के पीछे कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.आदेश के अनुसार, इन 100 कंपनियों में सीआरपीएफ की 50, बीएसएफ-10, एसएसबी-30 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां है। हर एक कंपनी में 90 से 100 कर्मी मौजूद रहते हैं. सीआरपीएफ की आने वाली 50 कंपनियों में से नौ कंपनियां दिल्ली में संसदीय चुनाव और कांवड़िया ड्यूटी के लिए लगी हुई हैं. सूत्रों का कहना है कि, अमरनाथ यात्रा की समाप्ति के बाद केंद्र सरकार अनुच्छेद 35ए पर फैसला ले सकती है. तब तक संसद का सत्र भी समाप्त हो जाएगा. बताया जा रहा है कि अनुच्छेद 35ए को राष्ट्रपति के आदेश के तहत रियासत में लागू किया गया था. इसलिए इसे राष्ट्रपति के आदेश से समाप्त किया जा सकता है. इसे हटाने के बाद घाटी में व्यापक पैमाने पर हिंसा का खतरा है. ऐसे में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त फोर्स की तैनाती का फैसला किया गया है.

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