नई दिल्ली/लखनऊ : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को देश में लागू हुए एक साल हो चुके हैं. जीएसटी को स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा सुधार कार्यक्रम मानते हुए बताया जा रहा है कि इससे देश की जटिल प्रत्यक्ष कर प्रणाली को सरल बनाते हुए समान कर व्यवस्था कायम की गई है. जीएसटी को 30 जून को एक साल पूरा गया है. बताया जा रहा है कि भारत में जटिल कर प्रणाली समाप्त हो चुकी है और दर्जन भर से ज्यादा अलग-अलग तरह के करों और कई उपकरों को मिलाकर एकल कर प्रणाली बनाई गई है. मगर अब तक जीएसटी आदर्श कर व्यवस्था नहीं बन पाई है.
जीएसटी से भरा सरकार का खजाना?
जीएसटी लागू होने के एक साल बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इससे सरकार का खजाना भरा? आंकड़े बताते हैं कि GST से सरकार को काफी पैसे मिले. वित्त वर्ष 2016-17 में कुल इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 8.63 लाख करोड़ रुपए मिलते थ. वहीं जीएसटी लागू होने के 11 महीनों यानी जुलाई 2017 से मई 2018 के बीच कुल टैक्स कलेक्शन 10.06 लाख करोड़ रुपए हुए. जबकि जून 2018 के आंकड़े आने बाकी हैं। ये आंकड़े इसलिए भी सरकार को खुश करने वाले हैं क्योंकि पेट्रोलियम उत्पादों, शराब, तंबाकू और मनोरंजन जीएसटी से बाहर हैं.जीएसटी में पूरे साल गड़बड़ियां सामने आती रहीं
जीएसटी की एक साल की यात्रा भी सुगम नहीं रही और पहले ही दिन से इसमें गड़बड़ी व समस्याएं बनी रहीं. हालांकि सरकार की सक्रियता के कारण कतिपय खामियों का समाधान किया गया, फिर भी रिटर्न दाखिल करने में सरलीकरण और करों को तर्कसंगत बनाना जैसे कुछ समस्याओं का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के अनुसार, “जीएसटी ने अर्थव्यवस्था में अब अलग प्रतिमान स्थापित किया है, क्योंकि लोगों पर जीएसटी के तहत पंजीकरण करने और उनकी आर्थिक गतिविधियों को औपचारिक क्षेत्र में लाने के लिए ज्यादा दबाव होगा.” जीएसटी की एक साल की यात्रा का विश्लेषण करने के बजाय भविष्य की योजना को समझना ज्यादा महत्वपूर्ण होगा.एशिया में सबसे ज्यादा भारत में है जीएसटी
विश्व बैंक ने कहा, “भारत की टैक्स की पट्टियों की संख्या ही सबसे बड़ी नहीं है, बल्कि 28 फीसदी कर एशिया में जीएसटी की सबसे ऊंची और दुनिया में चिली के बाद दूसरी सबसे ऊंची दर है.”
नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के लागू होने के तुरंत बाद नीति आयोग के सदस्य और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाह परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबराय ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “भारत आदर्श जीएसटी व्यवस्था से काफी दूर है और यह निकट भविष्य में आदर्श नहीं बन पाएगा.”
सभी मदों पर जीएसटी की अधिकतम तीन दरों के पक्षधर देबराय ने कहा कि सात दरों से शुरू करके भारत को ऐसी स्थिति में ला दिया है कि आदर्श जीएसटी नहीं बन सकता है.
GST में खामियों के चलते हुईं ये मुश्किलें
पिछले साल एक जुलाई को जीएसटी लागू होने के पहले दिन से ही जीएसटी नेटवर्क पोर्टल में तकनीकी खामियां रहने से करदाताओं को इसपर पंजीकरण करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण सरकार को रिटर्न दाखिल करने की समय-सीमा कई बार बढ़ानी पड़ी.
इन खामियों के कारण निर्यात रिफंड (वापसी) काफी बढ़ गया और निर्यातकों के पास नकदी का संकट उत्पन्न हो गया क्योंकि उनकी पूंजी फंस गई.
हालांकि सरकार की ओर से इसके लिए चलाए गए 15 दिनों के दो अभियानों से कारोबारियों को फंसी हुई पूंजी का एक बड़ा हिस्सा मिलना मुमकिन हुआ, मगर अभी तक कुछ बचा हुआ है.