नई दिल्ली: मोदी सरकार को मिले प्रचंड बहुमत से आर्थिक जगत में भी उत्साह है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले 5 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार और तेज होगी। अर्थशास्त्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि मोदी सरकार के आने से सरकार की नीतियों को नई रफ्तार मिलेगी। यह रफ्तार न सिर्फ देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी बल्कि नई नौकरियां और रोजगार के मौके देने में भी कामयाब रहेगी। उन्होंने कहा कि अगले 5 सालों में और तेजी के साथ काम किया जाएगा जिससे जी.डी.पी. 9-10 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ेगी। आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ देवेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि पिछले 5 सालों में सरकार ने अर्थव्यवस्था को कई कड़वी दवाएं जी.एस.टी. और नोटबंदी के तौर पर दी हैं, ऐसे में अब आने वाले 5 सालों में उन दवाओं का असर दिखेगा। मौजूदा सरकार की कई पुरानी योजनाएं 2022 और 2024 तक के लक्ष्य के साथ बनाई गई हैं।
5 साल के नए कार्यकाल में इन योजनाओं को पूरा करने के लिए भरपूर मौका रहेगा। उद्योग जगत को सरकार से तमाम उम्मीदें हैं। ऑटो इंडस्ट्री को भी राहत की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2019 में जी.डी.पी. वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह 2014 मोदी सरकार के बाद सबसे कम वृद्धि है। तीसरी तिमाही में वृद्धि 6.6 प्रतिशत के साथ 6 साल के निचले स्तर पर चली गई थी। देश में हर महीने 10 लाख से ज्यादा लोग जॉब मार्कीट में आते हैं। बेरोजगारी दर को लेकर कुछ महीने पहले लीक हुई रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में यह 6.1 प्रतिशत थी, जो 45 साल में सबसे ज्यादा है। बुनियादी ढांचा क्षेत्र में देश में कुल 1,424 प्रोजैक्ट पर काम चल रहा है। इनमें से 384 देरी से चल रहे हैं। बैंकों का फंसा कर्ज 10.4 लाख करोड़ था।
केन्द्र की सत्ता में भारी बहुमत से वापसी करने वाली नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. सरकार अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए पूरा जोर लगाएगी और इसके लिए वह मसौदा पहले ही तैयार कर चुकी है। नई सरकार अपने वादे के अनुरूप मध्य वर्ग को टैक्स से और राहत देने के लिए भी कदम उठा सकती है, साथ ही जी.एस.टी. का और सरलीकरण किया जा सकता है। सरकार टैक्स का सरलीकरण, अनुपालन को आसान बनाने के साथ-साथ मांग में बढ़ौतरी लाने का हरसंभव प्रयास करेगी। भावी सरकार प्राइवेट इन्वैस्टमैंट को बढ़ावा देने और मांग में नई जान फूंकने के लिए खाका पहले ही तैयार कर चुकी है,
क्योंकि उसे जुलाई में पूर्ण बजट पेश करना है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि चिंता इस बात की है कि अगर उपायों को लागू करने में विलंब होता है तो अर्थव्यवस्था में मौजूदा मंदी का संकट और बढ़ जाएगा। एक अधिकारी ने कहा कि वक्त जाया करने का समय नहीं है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा कि नई सरकार के समक्ष चुनौती वृद्धि में गिरावट को थामने और दीर्घावधि में गैर मुद्रास्फीतिक वृद्धि दर को बढ़ाने की होगी। अधिकारियों ने कहा कि आगामी जुलाई में बजट पेश किए जाने की संभावना है और उसमें टैक्स में कमी लाकर मध्य वर्ग को राहत पहुंचाई जा सकती है, जिससे उनके हाथ में ज्यादा पैसा पहुंचेगा, परिणामस्वरूप खर्च के साथ मांग में बढ़ौतरी होगी।
दरअसल अंतरिम बजट के दौरान सरकार ने मध्य वर्ग के लिए टैक्स में और कटौती करने का वादा किया था। अधिकारियों ने कहा कि नई औद्योगिक नीति का मसौदा भी तैयार है। वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) 2.0 को लेकर भी सरकार में पहले ही चर्चा हो चुकी है। इसके तहत अनुपालन को आसान करना, रेट स्ट्रक्चर की समीक्षा तथा पैट्रोलियम जैसे उत्पादों को जी.एस.टी. के दायरे में लाना शामिल है। जी.एस.टी. के 4 स्लैब-5 प्रतिशत, 12, 18 और 28 प्रतिशत को घटाकर अब 2 मुख्य स्लैब किए जा सकते हैं। अमरीका के एक कारोबार संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीत पर बधाई दी।
उसने कहा कि अगले 5 साल में नरेंद्र मोदी अगले 25 साल तक की आर्थिक वृद्धि की जमीन तैयार करेंगे। अमरीका-भारत रणनीतिक एवं भागीदारी फोरम के निदेशक मंडल के चेयरमैन जॉन चैंबर्स ने कहा, ‘‘चुनाव में निर्णायक जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई। देश की आर्थिक वृद्धि एवं समृद्धि के संदर्भ में प्रधानमंत्री के अगले 5 साल के कार्य 25 साल की जमीन तैयार करेंगे।’’ चैंबर्स ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) बढ़ाने में सक्षम होगा और आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन, बेहतर व्यापार तथा विदेशी निवेश से गुजरेगा।