उत्तराखंड: दो दिन राहत मिलने के बाद एक बार फिर उत्तराखंड की वादियां बर्फ से सराबोर हो गई हैं। कहीं सैकड़ों गांव बर्फ से ढक गए हैं तो दूसरी ओर कई मार्ग बंद पड़े हैं। राज्य के पहाड़ी इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में आज भी बारिश और बर्फबारी होने के आसार हैं। लगभग सभी इलाकों में बादल छाए रहने का अनुमान जताया गया है। वहीं, अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फ भी गिर सकती है। राजधानी देहरादून में सुबह से बादल छाए रहे, इसके साथ ही शीत लहर ने ठंड और ज्यादा बड़ा दी। हालांकि बाद में धूप निकल आई, लेकिन बादलों और धूप के बीच आंख-मिचौली जारी रही। मौसम केंद्र निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि शुक्रवार को भी प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में बादल छाए रह सकते हैं। अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फ गिर सकती है। वहीं, निचले पर्वतीय इलाकों और मैदानी क्षेत्रों में बारिश होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि बारिश के बाद प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों के दिन के तापमान में गिरावट आने की संभावना है।
रात के तापमान में बहुत ज्यादा अंतर आने का अनुमान नहीं है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने 2500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्र में हिमस्खलन की चेतावनी जारी की है। इस चेतावनी के बाद जिला प्रशासन ने धारचूला और मुनस्यारी में पर्यटकों और स्थानीय लोगों से कहा है कि वे उच्च हिमालयी क्षेत्र की ओर रुख न करें। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से जारी चेतावनी के मुताबिक उत्तराखंड में पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग में 2500 मीटर से ऊपर 31 जनवरी की रात से एक फरवरी तक हिमस्खलन की आशंका है। चकराता और आसपास के क्षेत्रों में दो दिन तक खिली धूप के साथ मौसम खुशगवार रहने के बाद बृहस्पतिवार को मौसम के करवट बदलने से ऊंचाई वाले इलाकों में फिर बर्फबारी हुई। इससे निचले इलाकों में शीतलहर का प्रकोप बढ़ गया है। वहीं क्षेत्र में सड़कों पर बर्फ जमी होने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
बृहस्पतिवार सुबह से देववन, मुंडाली, लोहारी सहित क्षेत्र की कई ऊंची चोटियों पर बर्फबारी हुई। उधर, पाटी-चकराता मार्ग पर बर्फ जमी होने से रोजमर्रा की जरूरतों के लिए चकराता बाजार आने वाले पाटिया, रावना, बुरासवा, मेरावना, सिरबा, टुंगरोली, मैपाऊटा आदि क्षेत्रों के ग्रामीणों की परेशानियां बढ़ गई हैं। लोगों को बाजार आने के लिए पैदल दूरी तय करनी पड़ रही है। वहीं, डाकपत्थर, विकासनगर, हरबर्टपुर आदि क्षेत्रों में पूरे दिन बादल छाए रहने के साथ ही कहीं-कहीं हल्की बारिश भी हुई है, जिससे क्षेत्र में ठिठुरन बढ़ गई है। बीते सप्ताह मसूरी व धनोल्टी में हुई भारी बर्फबारी के बाद दो दिन मौसम साफ रहा। बृहस्पतिवार को मौसम ने अचानक करवट बदली और तड़के बारिश शुरू हो गई।
इसी बीच कैंपटी फाल क्षेत्र में सुबह विद्युत आपूर्ति ठप हो गई और देर रात आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी। बर्फबारी के बाद मसूरी व धनोल्टी में मौसम खुशनुमा बना हुआ है। बर्फबारी के लुत्फ उठाने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी मसूरी व धनोल्टी पहुंच रहे हैं। बृहस्पतिवार दोपहर धूप खिली और शाम को काले बादल छाने के बाद शीतलहर चलने लगी। इससे ठिठुरन बढ़ गई और अधिकांश पर्यटक शाम से ही होटल के कमरों में कैद हो गए। उधर, धनोल्टी में भी स्थानीय निवासी और पर्यटक अपने आशियानों में दुबके रहे। दूसरी ओर कैंपटी फाल क्षेत्र की बिजली सुबह गुल हो गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि सुबह 10 बजे गुल हुई बिजली देर रात तक बहाल नहीं हो सकी। गोपेश्वर में दो दिनों तक धूप खिलने के बाद मौसम ने फिर करवट बदली और बारिश और बर्फबारी शुरू हो गई। इससे लोगों को कड़ाके की ठंड और दुश्वारियों से राहत नहीं मिल पा रही है। चमोली में फिर से लगभग डेढ़ सौ गांव बर्फ से ढक गए हैं। प्रशासन की ओर से इन दिनों जेसीबी से सड़कों से बर्फ हटाने का काम किया जा रहा था, लेकिन बारिश और बर्फबारी से यह बाधित हो गया है।
बुधवार को रात करीब दो बजे से जिले के निचले क्षेत्रों में बारिश और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी शुरू हुई जो बृहस्पतिवार को दिनभर जारी रही। लोग ठंड से बचने के लिए घरों में ही दुबके रहे, जबकि बाजारों में व्यवसायियों और राहगीरों ने अलाव का सहारा लिया। बर्फबारी से चमोली-मंडल-ऊखीमठ, घाट-सुतोल-कनोल, घाट-रामणी, निजमूला-पाणा- ईराणी, जोशीमठ-औली, वाण-लोहजंग और बदरीनाथ हाईवे हनुमान चट्टी से आगे बर्फबारी से बंद हो गया है। प्रशासन की ओर से इन दिनों दूरस्थ गांवों को जोड़ने वाली सड़कों से जेसीबी से बर्फ हटाने का कार्य करवाया जा रहा था जो अब बाधित हो गया है। पाणा, ईराणी, दुर्मी, मोहनखाल, नैल, नौली, ब्राह्मण थाला, पोगठा आदि क्षेत्रों में बर्फबारी के साथ ही शीत लहर भी चल रही है। ग्रामीण वीरबल सिंह और राकेश बासकंडी का कहना है कि पोखरी-मोहनखाल-रुद्रप्रयाग मोटर मार्ग पर फिर से दो फीट तक बर्फ जम गई है, जिससे ग्रामीणों को छह किलोमीटर तक पैदल आवाजाही करनी पड़ रही है।