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एक उत्तरदाई सरकार की तरह व्यवहार करे केंद्र: अनुपम मिश्रा

राहुल यादव, लखनऊ। राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम मिश्रा ने केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि यह लोकतंत्र है और वह एक उत्तरदायी सरकार है जिसकी जनता के प्रति जवाबदेही बनती है । हालांकि यह विषय न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए हलफनामे और टीकाकरण नीति पर जो भी कहा गया है कि उसको लेकर जनहित में ऐसे कई प्रश्न है जो ना केवल अनुत्तरित है बल्कि मन में संशय पैदा करते हैं। इसलिए आवश्यक है कि केंद्र एक उत्तरदाई सरकार की तरह  व्यवहार करे और जनमानस को विश्वास में लेते हुए उनके निराकरण का प्रयास करें। अनुपम मिश्रा ने टीकाकरण नीति पर केंद्र सरकार से प्रश्न करते हुए पूछा कि नंबर 1-वर्तमान टीकाकरण अभियान को वांछित गति कब तक मिलेगी? नंबर 2-सरकार बताए कि हर्ड इम्यूनिटी उत्पन्न होने के लिए कितनी आबादी का टीकाकरण होना अनिवार्य है ? और सरकार कब तक उतनी आबादी का टीकाकरण कर पाएगी?नंबर 3 – क्या वर्तमान समय में जो टीके लगाए जा रहे हैं, वह वायरस के बदलते हुए प्रतिरूप पर असरदायक हैं या नहीं ? क्योंकि यह एक आम जन धारणा बन चुकी है कि वर्तमान टीका कोरोना वायरस के बदले हुए प्रतिरूप पर असरदायक नहीं है। सरकार को इस पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। नंबर 4 – यदि यह बदले हुए प्रतिरूप पर असरदायक नहीं है तो सरकारों को टीके में बदलाव कर उसे नए प्रतिरूप पर असरकारी बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। अनुपम मिश्रा ने कहा कि उपरोक्त समस्याओं के मद्देनजर वर्तमान टीकाकरण नीति की समीक्षा आवश्यक है जो कि किसी विशेषज्ञ समूह द्वारा ही की जा सकती है। यदि वर्तमान टीकाकरण नीति में खामियां ना होती, तो न राज्यों द्वारा इस नीति पर सवाल उठाए जाते  और ना ही न्यायालय को इसमें दखल देना पड़ता । आगे बोलते हुए अनुपम मिश्रा ने कहा कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऑक्सीजन की न्याय संगत व तर्कसंगत उपलब्धता सभी राज्यों को सुनिश्चित करने हेतु एक राष्ट्रीय कार्य बल का गठन किया है ,जो सभी राज्यों को ऑक्सीजन की उपलब्धता को सुनिश्चित कराने का कार्य करेगा। इसी प्रकार यदि टीकाकरण नीति को लेकर देश के विभिन्न राज्यों से विरोध व अभाव के स्वर आ रहे हैं तो राष्ट्रीय स्तर पर किसी कार्यबल के गठन से सरकार को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए बल्कि सरकार को तो स्वयं ऐसा कार्यबल गठित करना चाहिए था क्योंकि ऐसे प्रभावी कदम आम जनमानस में सरकार के प्रति भरोसा और विश्वास बढ़ाते हैं। अनुपम मिश्रा ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इस तथ्य को क्यों नहीं मानती कि जितने टीकों की देश को आवश्यकता है, उतने उपलब्ध नहीं है। अन्यथा क्या कारण है कि जो टीकाकरण की गति इतनी मंद है। आज जब देश में प्रतिदिन एक करोड़ लोगों को टीका लगना चाहिए तब वह नहीं लग पा रहे हैं क्योंकि टीके उपलब्ध ही नहीं है। यदि केंद्र सरकार ने समय रहते हैं कोरोना वायरस की दूसरी लहर से निपटने के लिए उत्पादकता एवं टीकाकरण पर जोर दिया होता तो आज जिस भयानक स्थिति में हम पहुंच गए हैं, वहां नहीं होते।

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