श्रीनगर: पूर्व मुख्यमंत्री और नैशनल कांफ्रैंस (नैकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को जम्मू कश्मीर की राजनीति में हस्ताक्षेप न करने की सलाह देते हुए कहा कि अगर 1996 में नैकां चुनाव में नहीं उतरती तो मोहम्मद युसुफ पर्रे उर्फ कूका पार्रे जैसा इख्वान कमांडर जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनता। ऐसी स्थिति में रियासत के हालात क्या होतेए यह समझा जा सकता है। दक्षिण कश्मीर में कुलगाम जिला के चावलगां इलाके में पार्टी रैली से इतर उमर ने पत्रकारों के सवालों के जबाव देते हुए कहा कि मैं इस बात को साबित तो नहीं कर सकता, लेकिन मेरा और मेरे पिता डॉ फारुक अब्दुल्ला का पूरे यकीन के साथ मानना है कि अगर 1996 में नैकां चुनाव नहीं लड़ती तो आतंकी से इख्वानी कमांडर बने कूका पार्रे ही मुख्यमंत्री बनता।
एक इख्वानी के मुख्यमंत्री बनने पर प्रदेश में क्या हालात होते, कितने मासूम मारे जाते। कोई इस तथ्य को स्वीकारे या अस्वीकारे, मगर सच यही है। कूका पार्रे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए उस समय दिल्ली तैयार बैठी थी।
आगामी विधानसभा चुनावों में नैकां की जीत की उम्मीद जताते हुए उमर ने कहा कि पी.डी.पी. और भाजपा की गठबंधन सरकार से पूरे राज्य में लोग दुखी थे। लोगों का इन दलों से मोहभंग हो चुका है और वह नैकां से बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। इसलिए हमें यकीन है कि राज्य में जब भी लोसभा और विधानसभा चुनाव होंगे,लोग हमें बहुमत के साथ जिताएंगे। हमें किसी दूसरे के सहारे सरकार बनाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा राज्य में ऑपरेशन ऑलआऊट से इंकार करने पर उमर ने कहा कि यहां कश्मीर में लोग भ्रम में हैं कि आखिर यहां हो क्या रहा है।
एक तरफ सेना कहती है कि ऑपरेशन ऑलआऊट चल रहा है, जिसमें आतंकी मारे जा रहे हैं। दूसरी तरफ राज्यपाल कहते हैं कि यहां कोई ऑपरेशन ऑलआऊट नहीं चल रहा है। आखिर यहां चल कया रहा हैए यह लोगों को बताया जाए। सरकार क्यों भ्रम पैदा कर रही है। उमर ने कहा कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक का काम नहीं है कि वह प्रदेश की राजनीति में या यहां के राजनीतिक मुददों में दखल दें। उन्हें चाहिए कि वह यहां चुनाव लायक साजगार माहौल बनाएं ताकि आम लोग बिना किसी डर पूरे विश्वास के साथ वोट डालने के लिए घरों से बाहर आ सकें। उन्होंने कहा कि राजनीति करना तो हम जैसे राजनीतिक लोगों का काम है। राज्यपाल और उनके प्रशासन की जिम्मेदारी यहां हालात को बेहतर बनाना, लोगों के प्रशासनिक व अन्य बुनियादी मसले हल करना है।