लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वन डिस्ट्रिक्ट-वन मेडिकल कॉलेज के तहत राज्य सरकार ने 16 असेवित जिलों में मेडिकल कॉलेज बनाने की कवायद शुरू कर दी है। यह वो जिले हैं, जहां फिलहाल कोई सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज नहीं है। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत बनने वाले इन कॉलेजों के लिए राज्य सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। चिकित्सा शिक्षा विभाग की मानें तो इन मेडिकल कॉलेजों के लिए साढ़े नौ हजार से अधिक सीधी भर्तियां होंगी जबकि हर साल 1600 नए डॉक्टर भी तैयार होंगे।
नए मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के लिए राज्य सरकार निजी क्षेत्र को चार विकल्प दे रही है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार के अनुसार नए मेडिकल कॉलेजों के बनने से पांच से छह हजार बैडों की संख्या प्रदेश के अस्पतालों में बढ़ जाएगी। इन कॉलेजों के लिए 9600 पदों पर सीधी भर्ती होगी। पीपीपी मोड में मेडिकल कॉलेज के लिए केंद्र सरकार के नियमों के तहत दो मॉडल हैं।
पहले मॉडल के तहत तीन मोड क्रमश: ए, बी और सी रखे गए हैं। इसमें एक मोड को सर्वाधिक वरीयता दी जाएगी। इसके तहत मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन और अस्पताल दोनों निजी क्षेत्र के ही हों। सरकार इसमें नीति के अनुसार वित्तीय और गैर वित्तीय सहायता देगी। मोड ‘बी’ के तहत अस्पताल निजी क्षेत्र का हो और कॉलेज के लिए जमीन सरकार एक रुपये के पट्टे पर देगी।
तीसरा विकल्प जिला अस्पतालों को पट्टे पर दिए जाने का है। मगर मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन निजी क्षेत्र को उपलब्ध करानी होगी। वहीं मॉडल-2 में केंद्र सरकार वायबिलिटी गैप फंडिंग स्कीम-2020 के तहत निजी क्षेत्र को 30 फीसदी कैपिटल ग्रांट उपलब्ध कराएगी। इतनी ही ग्रांट राज्य सरकार द्वारा भी स्वीकृत किए जाने का प्रावधान है।