लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में पूर्णतया अराजकता की स्थिति है। मुख्यमंत्री जी की कोई बात न तो उनके सहयोगी मंत्री सुन रहे हैं और नहीं अधिकारीगण। सब अपनी ढपली पर अपना-अपना राग अलाप रहे हैं। भ्रष्टाचार पर रोक नहीं है। तबादलों का धंधा बदस्तूर जारी है। निजी मेडिकल कालेजों में फीस के नाम पर जबर्दस्त वसूली चल रही है। मुख्यमंत्री जी की घोषणाएं भी फाइलों की कैद से बाहर नहीं निकल रही हैं। यह बात तो अब ढकी-छुपी नहीं रह गई है कि तबादलों की निर्धारित अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी विभिन्न विभागों में तबादले जारी हैं। यह खेल मंत्रिस्तर तक चलने की शिकायतें हैं। मुख्यमंत्री जी अपने मंत्रियों पर अंकुश लगाने का साहस भी वे नहीं दिखा रहे हैं।
सचिवालय में तीन दिन में फाइलों के निस्तारण के आदेशों के बावजूद तीस दिन में भी फाइलों की धूल नहीं साफ होती है। मुख्यमंत्री जी के नीचे ही स्टाम्प और पंजीयन विभाग में सैकड़ों तबादले तबादला अवधि बीतने के बाद हो गए। स्वास्थ्यमंत्री जी के विभाग में बड़े पैमाने पर पैरामेडिकल कर्मियों के तबादलों में गड़बड़ी पर बैठी जांच ठंडे बस्ते में चली गई है। पीडब्लूडी विभाग में ई-टेण्डर घपला चर्चित हो चला है सिंचाई विभाग भी इससे अछूता नहीं रहा। कमाईदार विभागों में यह खुला खेल क्या बिना ऊपरी समर्थन के चल सकता है? इस अफरा-तफरी के माहौल में प्रदेश में विकास के गति पकड़ने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ‘ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी‘ इसीलिए सफल नहीं हुई है। निवेशकों को प्रदेश के नौकरशाह अपनी उंगलियों पर नचाने और फाइल के मकड़जाल में उलझाने से बाज नहीं आने वाले है।
जब तमाम पापड़ बेलने पर देश के बड़े पूंजी घराने निवेश को तैयार नहीं हो रहे है तो सुदूर विदेश से यहां कोई क्यों आएगा?उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार का आधा कार्यकाल पूरा होने को है। निर्यातक राज्य की अस्थिरता और उगाही नीति से घबरा गए हैं। पूंजी घराने यह समझ गए हैं कि भाजपा सरकार की नीयत विकास की नही है, वह केवल दिखावे का मकड़जाल फैलाकर अपनी शान बघारना चाहती है। भाजपा सरकार ने अपनी कुनीतियों के चलते प्रदेश को कई दशक पीछे कर दिया है। उसके पास समाजवादी सरकार की योजनाओं के अलावा कहने-सुनने या दिखाने को कोई योजना, निर्माण या विकास कार्य नहीं है। मुख्यमंत्री जी के कारण प्रशासनिक व्यवस्था में अस्थिरता व्याप्त है, अधिकारियों को सस्पेंड करने की धमकी और उनको जेल भेजने का कोई प्रभाव प्रशासन पर पड़ने से रहा।