अशाेक यादव, लखनऊ। कोयले की कमी का असर अब प्रदेश की बिजली आपूर्ति पर दिखने लगा है। बिजली की आपूर्ति कम होने की वजह से जगह-जगह कटौती की जा रही है। हालात ये हो गया है कि अब तक करीब 2 हजार मेगावाट क्षमता की इकाइयों को बंद करना पड़ा है।
वहीं विभागीय लोगों की माने तो अगर जल्द कोयले की कमी दूर नहीं हुई तो बिजली आपूर्ति और ज्यादा डीरेल हो जाएगी। वहीं, सबसे ज्यादा कटौती ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही है।
बता दें कि प्रदेश में बिजली की प्रतिबंधित मांग करीब 17, 000 मेगावाट के आसपास है। जबकि इसके मुकाबले 15, 000 मेगावाट के आसपास ही आपूर्ति हो पा रही है। यानी लगभग 1800 से 2000 मेगावाट की कमी चल रही है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 18 घंटे बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए। वहां 12 से 13 घंटे के बीच ही हो पा रही है। वहीं तहसील क्षेत्रों के लिए साढ़े 21 घंटे की बिजली आपूर्ति होनी चाहिए, लेकिन इसमें भी सिर्फ 19 घंटे के आसपास ही आपूर्ति हो रही है।
मामले में विभाग का कोई भी अधिकारी फिलहाल बात करने से बचता नजर आ रहा है। नाम सामने ना लाने की शर्त पर प्रदेश के विद्युत निगम की एमडी ने माना कि कोयले की कमी की वजह से समस्या बढ़ती जा रही है। आगे त्योहारों में बिजली की मांग और बढ़ रही है। जल्द कोयले की समस्या दूर नहीं हुई तो काफी मुश्किलों का सामना करना पढ़ सकता है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि पिछले कुछ समय में जो भीषण बारिश हुई है। उसकी वजह से पानी तमाम कोयले की खदानों में चला गया है। इसकी वजह से बड़ी मात्रा में कोयला गीला है। इसकी वजह से ये समस्या सामने आ रही है। ये समस्या कितनी बढ़ रही है, इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है। खुद ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को भी इस पर ट्वीट करना पड़ा।