लखनऊ। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में मेगा इंडस्ट्री इन्वेस्टमेंट नीति में संशोधन को मंजूरी दे दी गई। इसके अनुसार, संबंधित श्रेणी के उद्योगों को 70 फीसदी रोजगार स्थानीय युवाओं को ही देना होगा, तभी वे यह सुविधाएं ले सकेंगे।
सुपर अल्ट्रा मेगा उद्योगों को सरकार ने बड़ी रियायतें दी हैं। सिडकुल क्षेत्र में ऐसे उद्योग लगाने पर उन्हें जमीन खरीद पर 30 फीसदी तक सब्सिडी दी जाएगी।
सभी श्रेणियों में उद्योगों के लिए बिजली की दर में प्रतिवर्ष 50 लाख रुपये से 1.50 करोड़ रुपये तक की छूट का प्रावधान किया गया है। सुपर अल्ट्रा मेगा इंडस्ट्री में यदि 400 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है और उसमें 400 युवाओं को रोजगार मिलता है तो उन्हें जमीन खरीद पर 30 फीसदी की रियायत दी जाएगी।
इसके साथ ही राज्य सरकार ने मेगा टेक्सटाइल पार्क पॉलिसी 2014 में भी संशोधन किया है। इस पॉलिसी को वर्ष 2023 तक बढ़ा दिया है। इसके तहत केंद्र सरकार की एमएसएमई योजना में इसमें जो छूट मिल रही थी, उन्हें खत्म कर दिया है। राज्य सरकार ने अब केंद्र की पॉलिसी को अपना लिया है।
उद्योगों को चार श्रेणी में बांटा गया
इस नीति के तहत उद्योगों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। 50 से 75 करोड़ रुपये तक निवेश करने वाले लार्ज प्रोजेक्ट में आएंगे। 200 करोड़ तक वाले मेगा, 200 से 400 करोड़ तक वाले अल्ट्रा मेगा जबकि 400 करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने वाले उद्योग सुपर अल्ट्रा मेगा उद्योग के दायरे में आएंगे।
कुछ श्रेणियों में छूट नहीं
तंबाकू उत्पाद, पान मसाला, 40 माइक्रोन से कम की पॉलीथिन बनाने वाले, सीमेंट, स्टील, पेट्रोलियम व गैस आधारित शोधशालाएं और पौधरोपण शोधशालाओं को इस नीति में भविष्य में कोई छूट नहीं दी जाएगी। अलबत्ता, यदि वर्ष 2015 के बाद इस तरह के उद्योग निर्माणाधीन हैं या फिर उत्पादन कर रहे हैं तो उन्हें यह छूट मिलती रहेगी, लेकिन भविष्य में खुलने पर वे छूट के दायरे से बाहर हो जाएंगे।