उत्तरकाशी : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के दुचाणू, टिकोची, माकुली और स्नेल गांव में बादल फटने से टौंस नदी उफान पर आ गई। उसके बाद जो हुआ उसने 2013 में आई केदारनाथ आपदा की याद दिला दी। उत्तरकाशी के मोरी ब्लाक के आराकोट क्षेत्र में शनिवार देर रात बादल फटने से कई लोगों की मौत हो गई और दर्जनों मकान पानी के सैलाब में समा गए। रविवार देर शाम तक आराकोट और माकुड़ी से आठ लोगों के शव बरामद हो चुके थे। सोमवार को मृतकों की संख्या बढ़कर नौ हो गई है। जबकि क्षेत्र में अलग-अलग जगह 15 से 17 लोगों के बहने और मलबे में दबने की सूचना है। दर्जनों संपर्क मार्ग व पुल बहने से सैकड़ों ग्रामीण अपने गांव-घरों में ही कैद हो गए हैं। पेयजल और बिजली लाइनें क्षतिग्रस्त होने से मुश्किलें और बढ़ गई हैं। वहीं मौके पर भेजी गईं आपदा प्रबंधन टीमें संपर्क मार्ग कटे होने के कारण रविवार देर शाम मौके पर पहुंच पाईं। जिसके बाद राहत-बचाव कार्य शुरू कर दिया गया था।
जिले के मोरी ब्लाक के आराकोट क्षेत्र में शनिवार देर रात बादल फटने के बाद माकुड़ी गांव के गदेरे में आए उफान से कई मकान जमींदोज हो गए। आपदा प्रबंधन दल में शामिल भगत सिंह रावत ने बताया कि माकुड़ी गांव में मलबे में दबे पांच लोगों के शव बरामद हो गए हैं। इनकी पहचान चतर सिंह (55) पुत्र कुंदन सिंह, उनकी पत्नी कलावती (45), कलावती (35) पत्नी किशन सिंह, ऋतिका (17) पुत्री किशन सिंह और सरोजनी देवी (31) पत्नी उपेंद्र सिंह के रूप में हुई है। जबकि माकुड़ी गांव से जोगड़ी देवी (75) पत्नी कुंदन सिंह और नेपाली मूल के लाल बहादुर लापता हैं। उन्होंने बताया कि आराकोट में सोमा देवी (38) पत्नी मोहन लाल, नेपाली मूल के कालूराम (60) और सोबित (1) पुत्र रोहित के शव बरामद हुए हैं। यहां से राइंका आराकोट में प्रवक्ता बिजनौर निवासी बृजेंद्र कुमार (55) एवं उनकी पुत्री संगीता (30) के भी बाढ़ में बहने की सूचना है। आपदा प्रबंधन की टीम अन्य गांवों तक पहुंच कर आपदा में हताहत हुए लोगों को रेस्क्यू करने और उनकी जानकारी जुटाने में लगी हुई है। उत्तरकाशी के सनेल गांव निवासी डा. राजेंद्र राणा ने बताया कि शनिवार देर रात को क्षेत्र के गाड़ गदेरों के साथ ही पाबर नदी में आए उफान से क्षेत्र में भारी तबाही मची है।
उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश की सीमा पर कोठीगाड़ में स्टोन क्रशर लगा है। शनिवार रात आए उफान में क्रशर में काम करने वाले तीन डंपर और दो जेसीबी मशीन बाढ़ में बह गई। इस आपदा में यहां कार्य कर रहे कुछ मजदूरों और मशीन ऑपरेटरों के बहने की भी सूचना है। हिमाचल प्रदेश की पुलिस और रेस्क्यू टीम लापता लोगों की तलाश में जुटी है। प्रदेश में मूसलाधार बारिश से 10 जिलों में 140 ग्रामीण मार्ग मलबा आने से अवरुद्ध हो गए हैं। बारिश के कारण ऋषिकेश-बदरीनाथ और त्यूनी-आराकोट नेशनल हाईवे पर यातायात बाधित है। लोक निर्माण विभाग और स्थानीय प्रशासन एनएच व ग्रामीण मार्गों पर यातायात बहाल करने में जुट गया है। राज्य आपदा परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार रविवार को भारी बारिश के कारण भूस्खलन से प्रदेश में 140 ग्रामीण मार्गों पर यातायात अवरुद्ध है। ऋषिकेश-बदरीनाथ एनएच पर बांसवाड़ा और सीरोंबगड़ में मलबा आने से बंद है। इसी तरह त्यूनी-आराकोट नेशनल हाईवे यातायात बाधित है। देहरादून जिला के अंतर्गत 28 ग्रामीण मार्ग अवरुद्ध हैं।
जबकि पिथौरागढ़ में 15, नैनीताल में 11, बागेश्वर में 11, चंपावत में 10, पौड़ी में 22, चमोली में 26, रुद्रप्रयाग में 14 और हरिद्वार जनपद में एक ग्रामीण मार्ग बंद है। उत्तरकाशी जिला के अंतर्गत मोरी तहसील में बादल फटने से आराकोट-चिवां, टिकोची-किराणू-दुचाणू मार्ग पर यातायात पूरी तरह से ठप है। आराकोट-चिवां मार्ग पर टिकोची बाजार में 24 मीटर आरसीसी का पुुल बह गया। जबकि टिकोची-किराणू मार्ग पर 36 मीटर लंबा पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। उत्तरकाशी से सटी त्यूनी तहसील क्षेत्र टौंस नदी उफान पर आ गई। इससे त्यूनी बाजार को खतरा उत्पन्न हो गया है। क्षेत्र में नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। हालात यह हैं कि टौंस नदी का पानी कई दुकानों के नीचे से बह रहा है। एहतियात के तौर पर तहसील प्रशासन ने 35 से अधिक दुकानों और मकानों को खाली करा लिया है। बाजार के दोनों हिस्सों को जोड़ने वाले पुल पर भी आवाजाही बंद कर दी गई है। बीते शनिवार की रात से क्षेत्र में झमाझम बारिश हो रही है। इससे नदी पूरे उफान पर है। नदी का शोर पूरी घाटी में दूर तक सुनाई दे रहा है।
खतरे की आशंका के मद्देनजर आपदा प्रबंधन की टीम को चकराता से त्यूनी के लिए रवाना कर दिया गया है। उत्तरकाशी क्षेत्र में बादल फटने के बाद से नदी में भारी मात्रा में मलबा और पत्थर बह कर आ रहे हैं। नदी में पानी का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। बाढ़ की आशंका को देखते हुए अन्य दुकानदारों ने भी अपनी दुकानों को बंद कर सुरक्षित स्थान की तलाश शुरू कर दी है। उत्तरकाशी की आपदा ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि प्रदेश के आपदा प्रबंधन तंत्र ने केदारनाथ आपदा से भी सबक नहीं लिया। केदारनाथ आपदा के दौरान भी आपदा प्रबंधन तंत्र को प्रभावित क्षेत्र में राहत और बचाव के लिए पहुंचने में क्षतिग्रस्त सड़कों और खराब मौसम का सामना करना पड़ा था। इसके साथ ही संचार नेटवर्क ध्वस्त होने के कारण सूचनाओं का आदान प्रदान भी नहीं हो पाया। हद तो इस बात की है कि पांच साल बाद उत्तरकाशी में आपदा आने पर राहत और बचाव को निकले राज्य आपदा मोचन दलों को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।