देहरादून : शुक्रवार की सुबह 11 बजे बाद राजधानी देहरादून में बदरा ऐसे बरसे कि गर्मी और उमस छू मंतर हो गई। देहरादून में झमाझम बारिश हुई। जिससे मौसम सुहावना हो गया। वहीं आज सुबह से ही राजधानी में उमस और गर्मी ने लोगों को परेशान कर रखा था। मसूरी में तेज बारिश होने से तापमान में गिरावट आई है। यहां घना कोहरा छाया हुआ है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में तेज बारिश होने की संभावना जताई है। मौसम विभाग ने आज राजधानी दून समेत आसपास के इलाकों में बादल छाए रहने का अनुमान जताया था। मौसम केंद्र की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार कुछ हिस्सों में बारिश हो सकती है। चमक के साथ कुछ क्षेत्रों में तेज बौछारें भी गिर सकती हैं। केंद्र निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि दिन के समय गर्मी और उमस हो सकती है। वहीं रुड़की में भी झमाझम बारिश हुई।
रुद्रप्रयाग, चमोली, हरिद्वार, सहित अन्य जिलों तड़के हल्की बारिश होने के बाद बादल छाए रहे। कल देर रात डेढ़ बजे अल्मोड़ा के खतियाड़ी में इंद्रा कॉलोनी, स्थित एक घर में पानी भर गया। एसडीआरएफ की टीम ने लोगों को रेस्क्यू किया। वहीं चारधाम यात्रा मार्ग सुचारू है। मानसून सीजन में बादलों की बेरुखी प्रदेश को ‘आज’ से ज्यादा ‘कल’ दर्द देगी। कम बारिश से प्रदेश में तात्कालिक नुकसान की संभावना कम है। लेकिन, निकट भविष्य में इसके दिक्कतें बढ़ सकती है। इसको लेकर मौसम विज्ञानी भी अपनी चिंता जता रहे हैं। मानसून सीजन के दौरान होने वाली बारिश को प्रकृति के लिए बेहद उपयोगी माना जाता है। इसका सीधा असर मौसमी खेती और बागवानी पर पड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार इस वर्ष बारिश कम होने के बावजूद अभी खेती और बागवानी पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
लेकिन, पूरे सीजन में यदि बारिश कम रही तो जाड़ों और अगले साल गर्मियों में इसके नुकसान देखने को मिल सकते हैं। मौसम विज्ञानियों के अनुसार निकट भविष्य में कम बारिश का सबसे ज्यादा असर भूजल के स्तर पर पड़ेगा। इससे पहाड़ी क्षेत्रों में पानी के स्त्रोत रिचार्ज नहीं हो पाएंगे। नदियों के जलस्तर पर भी इसका असर पड़ेगा। जिससे बांधों व जलाशयों के जलस्तर में भी कमी आ सकती है। इससे प्रदेश में हाईड्रोलॉजिकल ड्रोट का खतरा बढ़ सकता है। जमीन में नमी कम होने से दीर्घकालिक खेती-बागवानी पर असर पड़ेगा। एक जून से 30 सितंबर तक उत्तराखंड में सामान्य तौर पर 1229.1 मिमी बारिश होती है। जम्मू कश्मीर में 534.6, हिमाचल प्रदेश में 825.3, पंजाब में 491.8 और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 769.4 और हरियाणा, दिल्ली व चंडीगढ़ में 466.3 मिमी बारिश होती है।
इस लिहाज से देखा जाए तो बारिश कम होने के बावजूद उत्तराखंड की स्थिति अन्य पड़ोसी राज्यों की तुलना में बेहतर है। मौसम विभाग ने इस वर्ष शुरूआत में उत्तर-पश्चिम भारत में मानसून कमजोर रहने का अनुमान जताया था। अब तक उत्तराखंड समेत अन्य क्षेत्रों में यह भविष्यवाणी सही साबित हुई है। ऐसे में अगस्त में बारिश बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। इस दौरान बारिश सामान्य के स्तर तक पहुंच सकती है। औसत से 19 फीसदी कम या ज्यादा बारिश को भी सामान्य माना जाता है। बारिश में कमी से भले ही अभी कम नुकसान हो, लेकिन भविष्य में यह पूरे पर्यावरण पर असर डालेगी। खेती-बागवानी पर इसका फिलहाल बहुत ज्यादा असर नहीं होगा। लेकिन इस कम बारिश के कारण जाड़ों और गर्मियों में कई तरह के पर्यावरणीय बदलाव देखने को मिल सकते हैं।