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उड़ान भरने के 33 मिनट बाद लापता हुआ IAF का विमान, आसमान से लेकर जमीन तक पूरी रात खोजती रही सेना

नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना का रूस निर्मित एएन-32 परिवहन विमान सोमवार दोपहर असम के जोरहाट से उड़ान भरने के करीब 33 मिनट बाद लापता हो गया. विमान में 13 लोग सवार थे. अभी तक कुछ भी नई जानकारी हासिल नहीं हो सकी. सेना द्वारा युद्ध स्तर पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. यदि विमान गिरा है तो उसका मलबा आज मिल सकता है, लेकिन जब तक आधिकारिक तौर पर पुख्ता जानकारी न मिले जाए कुछ भी कहना मुश्किल है. फिलहाल यही कहा जा सकता है कि वायुसेना के लापता विमान की तलाश जारी है. आसमान से लेकर ज़मीन तक तलाशी हो रही है. रात को भी सेना के ध्रुव और एमआई 17 हेलीकॉप्टर से तलाशी की. मौसम में खराबी की वजह से परेशानी हुई. मंगलवार सुबह करीब 4.30 बजे सेना के स्पेशल फ़ोर्स को भी खोजबीन में लगाया गया. सूत्रों के मुताबिक ऐलोंग और मेंचुका लैंडिंग ग्राउंड के बीच विमान से संपर्क टूटा. वायुसेना ने बयान में कहा, “दुर्घटना स्थल के संभावित स्थान को लेकर कुछ सूचनाएं मिली है. हेलिकॉप्टरों को उस जगह पर भेजा गया था. हालांकि, अभी तक कोई भी मलबा नहीं देखा गया है.” विमान में चालक दल के आठ सदस्य और पांच यात्री सवार थे. लापता विमान का पता लगाने के लिए वायुसेना भारतीय थलसेना के साथ-साथ विभिन्न सरकारी एजेंसियों की मदद ले रही है. लापता विमान का पता लगाने के लिए वायुसेना ने दो एमआई -17 हेलिकॉप्टर के अलावा सी -130 जे और एएन -32 विमान लगाया है जबकि थल सेना ने अत्याधुनिक हल्के हेलिकॉप्टर (एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर) तैनात किए हैं.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि उन्होंने इस बारे में वायुसेना के उपप्रमुख से बात की है और वे इन यात्रियों के सुरक्षित रहने की कामना करते हैं. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘कुछ समय से लापता वायु सेना के एएन-32 विमान के संबंध में भारतीय वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल राकेश सिंह भदौरिया से बातचीत की. उन्होंने मुझे वायुसेना के इस लापता विमान को लेकर उठाये गए कदमों की जानकारी दी. मैं इसमें सवार सभी यात्रियों की सुरक्षा के लिये प्रार्थना करता हूं.” चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ चार दिवसीय यात्रा पर स्वीडन गए हुए हैं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विमान का पता लगाने के लिए भारतीय वायु सेना ने सभी उपलब्ध संसाधन काम में लगा दिए हैं. एएन -32 रूस निर्मित वायुयान है और वायुसेना बड़ी संख्या में इन विमानों का इस्तेमाल करती है. यह दो इंजन वाला ट्रर्बोप्रॉप परिवहन विमान है. अधिकारियों ने कहा कि मेनचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड चीन की सीमा से ज्यादा दूर नहीं है. यह करीब 35 किलोमीटर दूर है.

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